Home विषयभारत वीर बस हमारी साहसी भारतीय सेना बाकि देश भगवान भरोसे

बस हमारी साहसी भारतीय सेना बाकि देश भगवान भरोसे

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
297 views
भारत घूम आइए आपका भगवान पर भरोसा हो जाएगा. देश भगवान भरोसे चल रहा है. एक हद तक सच भी है. सरकारी ज़िला अस्पताल चले जाइए, बीमार नहीं हैं तो भी बीमार हो जाएँगे. अगर कहीं लूट लिए गए, पुलिस के पास पहुँच गए तो दुबारा लूट लिए जाएँगे. वहाँ से अगर अदालत पहुँच गए तो ज़िंदगी भर बार बार लूटे जाएँगे. सरकारी विद्यालय पहुँच जाइए, अधिसंख्य में व्यवस्था देख चक्कर आ जाएगा. SBI पहुँच गए तो सुबह से शाम तक खिड़की ही न ढूँढ पाएँगे जहां फार्म जमा होना है. निहसंदेह आप सबसे बात करिए, हर व्यक्ति, हर दूसरे व्यक्ति को, अफ़सर को, बाबू को, चपरासी को नेता को कोसता/ ब्लेम पास करता मिलेगा. वजहें चाहे जो हों, जब आप कन्सूमर हों तो अंततः एस आ कामनर हम तो यही बोलेंगे कि भाई ज़िला अस्पताल बहुत घटिया है. पुलिस भ्रस्ट है. SBI आलसियों का अड्डा है.
इस सबके बावजूद भारत का एक विभाग है जो सर्वश्रेष्ठ है, विश्व स्तरीय है. भारतीय सेना. सेना का कार्य पुल बनाना नहीं है, पर हमें PWD के बनाए पुल से दस गुना भरोसा सेना पर होता है. सेना का कार्य दंगे रोकना नहीं है, पर सेना गुजर भर जाए, दंगे रुक जाते हैं. बाढ़ आने पर जब प्रशासन निकलता है जिसका यह काम है, हम जुगाड़ लगाने लगते हैं पैसा लेने देने का इंतज़ाम करने लगते हैं, फ़िर भी मालूम रहता है इनसे हो न पाएगा. पीड़ितों को बचाने सेना जब निकलती है, मालूम होता है बचा लेगी. अब सेफ़ हैं. युद्ध भूमि ही नहीं सामान्य जीवन में भारत के परिप्रेक्ष्य में मैं सेना को ज़मीनी भगवान कहूँगा. सेना के अस्पताल में एक्स्पर्ट डॉक्टर भले न हों लेकिन जो भी हैं इलाज ज़िला अस्पताल से सौ गुना अच्छा होता है, केयर होती है.
वह भी हैं इसी सिस्टम से लेकिन वह कर ले जाते हैं. पुल बनाना हो, अस्पताल चलाना हो, आपदा प्रबंधन करना हो तो वह ठेकेदार और नेता का बहाना नहीं करते, उन्हें भी इनसे डील करना होता है, पर वह कर ले जाते हैं. क्योंकि यह एक ऐसा विभाग है जिसमें कर रहे लोगों को अपनी वर्दी से अपने कार्य से अपने आप प्रेम हो जाता है.
सेना और सैनिकों को कोई भी सुविधा दी जाए कम है. अच्छी तनखवाहें हों. उससे भी ज़्यादा यह कि जब वह रिटायर होकर आएँ सम्मान जनक जीवन हो. अमेरिका जैसे देशों में हर यूनिवर्सिटी में रिटायर्ड सैनिकों का अड्मिशन आसानी से होता है, फ़ीस फ़्री होती है और हर अच्छी यूनिवर्सिटी में सैनिकों के लिए विशेष प्रबंध, ग्राउंड होते हैं. हवाई अड्डे पर अलग लाइन होती है. निहसंदेह भारत में भी सैनिकों को जो सुविधा दी जाए वह कम है, यही एक इकलौता सरकारी विभाग है जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सभी भारतीयों के आँकलन पर खरा उतरता है.
और यह भी है कि सेना का जवान रहना ज़रूरी है, नए जमाने के साथ चलना भी ज़रूरी है. सुविधाएँ देने के नाम पर सेना बुजुर्गों का अड्डा नहीं बनना चाहिए. उन्हें ससम्मान विदाई और उनका सिवल सॉसाययटी में रिहैबिलेशन ज़रूरी है, पर इसका अर्थ यह नहीं कि उनके बुजुर्ग होने तक उन्हें सेना में ही रहने दिया जाए.
अग्नि वीर योजना का विरोध मुझे बिल्कुल न समझ आया. भारत का इकलौता विभाग है जो हर परिस्थिति में अक़्ल से काम लेता है. आप ज़्यादा नहीं NCC का दो हफ़्ते का कोर्स कर लें, आजीवन देश भक्त रहते हैं. चार साल भारतीय सेना में गुज़ारने के बाद सौ प्रतिशत लोग अनुशासित अच्छे नागरिक बन निकलेंगे. युवावस्था है, दस पंद्रह लाख जेब में होंगे, सेना इनके सिविल सॉसाययटी में अजस्ट मेंट का भी पूरा प्रयास करेगी, पैसे पर्याप्त हैं, आयु भी है, आगे पढ़ना चाहें तो वह भी कर सकते हैं. शेष भारतीय सेना को यह सिखाना कि उसके कैडर संयमित रहें, देश भक्त रहें वैसे ही जैसे किसी मज़दूर को खोदना सिखाया जा रहा हो.
I have full faith in my defence forces. और मुझे पूरा यक़ीन है वह जो भी करेंगे बेहतर ही करेंगे, सोंच समझ कर ही करेंगे.

Related Articles

Leave a Comment