Home राजनीति बहुत क्रूर और कुटिल खेल का नाम ही राजनीति है…

बहुत क्रूर और कुटिल खेल का नाम ही राजनीति है…

Satish Chandra Mishra

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30 मार्च को दिल्ली में आयोजित हुए सम्मान समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सर्वश्रेष्ठ वॉटर मैनेजमेंट के लिए उत्तरप्रदेश को नेशनल वॉटर एवार्ड्स-2022 प्रदान किया था। उत्तरप्रदेश को यह अवार्ड इसलिए मिला था क्योंकि दशकों से लम्बित 334 सिंचाई परियोजनाओं को पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान पूर्ण किया गया। 46 वर्षों से लंबित बाण सागर परियोजना सहित आठ परियोजनाएं पूर्ण करके प्रदेश सरकार ने लगभग 2.50 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता में वृद्धि की। 50 लाख से अधिक किसानों को ड्रिप स्प्रिंकलर सिंचाई योजना से लाभान्वित किया गया। लगभग 3 लाख से अधिक निःशुल्क बोरिंग से 1.61 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे की सिंचाई क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2019-20 में 247 बाढ़ परियोजनाओं का कार्य प्रारंभ किया गया जिनमें लगभग 200 परियोजनाएं पूरी हुईं तथा शेष का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
लेकिन उपरोक्त ऐतिहासिक उपलब्धियों के लिए उत्तरप्रदेश को 30 मार्च को जब सम्मानित किया जा रहा था उससे ठीक 5 दिन पूर्व 25 मार्च को जब उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल का गठन हुआ था तो उस मंत्रिमंडल की सूची से उन डॉक्टर महेन्द्र सिंह Mahendra Singh का ही नाम गायब था जो पिछली उत्तरप्रदेश सरकार में जलशक्ति मंत्री थे और जिनके लगभग 3 वर्ष के कार्यकाल के दौरान हुए कार्यों के परिणामस्वरूप उत्तरप्रदेश को उपरोक्त “नेशनल वॉटर एवार्ड्स-2022” प्राप्त हुआ था।
2019 में उत्तरप्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्रालय का दायित्व संभालने से पूर्व मार्च 2017 से 2019 तक डॉक्टर महेन्द्र सिंह के पास उत्तरप्रदेश सरकार में ग्रामीण विकास व समग्र ग्राम विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दायित्व था। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे गरीबों को आवास प्रदान करने में 2017 तक उत्तरप्रदेश 27वें, 28वें स्थान पर रहता था। (मार्च 2017 से मार्च 2018) की अवधि में उत्तरप्रदेश 27वें स्थान से सीधे शीर्ष स्थान पर पहुंच गया था। दूसरे वर्ष (मार्च 2018 से मार्च 2019) उत्तरप्रदेश ने पिछले वर्ष बनाये गए अपने ही कीर्तिमान को भंग करते हुए शीर्ष पर अपने स्थान को यथावत बनाए रखा था। इसी प्रकार मनरेगा के क्रियान्वयन में मानव दिवस सृजन में राष्ट्रीय औसत (94 प्रतिशत) को पीछे छोड़ते हुए अपने निर्धारित लक्ष्य का 124 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर कीर्तिमान बनाने के साथ ही देश में उत्तरप्रदेश दूसरे स्थान पर पहुंच गया था। ऐसी अद्वितीय उपलब्धियां डॉक्टर महेन्द्र सिंह की कर्मठता की गवाही स्वंय दे देती हैं। लेकिन इस बार उत्तरप्रदेश सरकार के सदस्य वो नहीं हैं। कारणों से भी मैं भलीभांति परिचित हूं। लेकिन आज उस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, सिर्फ इतना ही कहूंगा कि बहुत क्रूर और कुटिल खेल का नाम ही राजनीति है।
आज यह पोस्ट इसलिए लिखी क्योंकि चारधाम की यात्रा में होने के कारण डॉक्टर महेन्द्र सिंह पिछले दिनों मेरे यहां सम्पन्न हुए एक मांगलिक कार्य में सम्मिलित नहीं हो सके थे। अतः अपनी शुभकामनाएं देने अपने अनुज तुल्य, उत्तरप्रदेश सरकार के चीफ स्टैंडिंग काउंसिल तथा उत्तरप्रदेश बार काउंसिल के सह चेयरमैन भाई Prashant Singh Atal के साथ मेरे आवास आये तो राजनीतिक चर्चा भी होनी स्वाभाविक थी।
शांत, शालीन गम्भीर व्यक्तित्व के डॉक्टर महेन्द्र सिंह अपने साथ घटे राजनीतिक घटनाक्रम को नियति का निर्णय मात्र मानते हैं। लेकिन मेरा मत उनसे अलग है। मेरा मानना है कि बहुत क्रूर और कुटिल खेल का नाम ही राजनीति है।। आप इसे क्या मानते समझते हैं। इसका निर्णय आप मित्रों पर छोड़ता हूं।

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