ट्रेन जलाने वालों, सड़कों पर हिंसा करने वालों और पत्थर चलाने वालों में कोई फर्क नहीं करना चाहिए। दोनों ही मानसिकताएं दंगाई हैं।
लगें संगीन धाराएँ, एक-एक की पहचान हो और मुकदमें मजबूत करके चले बुलडोजर। हो राष्ट्रीय संपत्ति के नुकसान की भरपाई और वसूली। हमेशा के लिए सरकारी नौकरी के अयोग्य घोषित हों ऐसे दंगाई।
किसी भी प्रदर्शन के नाम पर हिंसा और राष्ट्रीय संपत्ति के नुकसान की राष्ट्रीय दंगाई प्रवृत्ति के खिलाफ बेहद कड़े प्रशानिक अनुसाशन और पुलिसिंग की जरूरत है राष्ट्रीय स्तर पर सभी राज्यों की तरफ से।
कोई भी देश देश दिन, नाम और वजह देख कर दंगा नहीं चुन सकता। हम भी नहीं। बीते जुम्मे के सामने बीता शुक्रवार शर्मिंदा हुआ। सजा पत्थरबाजों के साथ इन आगबाजों की एक सी ही होनी चाहिए क्योंकि दोनों ही दंगाई मानसिकताएं हैं।
साथ ही जलती ट्रेन की बोगियों से बाकी ट्रेन को बचाने के इस नागरिक धर्म को देखते हुए यह भरोसा रखना ही होगा कि…जलाने वालों से बचाने वाले अब भी बहुत ज्यादे हैं। मुट्ठीभर हिंसक पूरे समाज,किसी पूरे राज्य के प्रतिनिधि नहीं हो सकते।
जून से शुरू होने जा रहे अग्निपथ की पहली भर्ती में भावी अग्निवीरों के जुटने की भारी सकारात्मक भीड़ ऐसे नालायकों की इन तमाम नकारात्मकता को अतीत बना देगी।