कौरव सौ थे और आचार्य द्रोण की गुरुदक्षिणा चुकाने सेना भी लेकर गये लेकिन द्रुपद ने भगा दिया।
उधर पांडव पांच थे लेकिन पूरी रणनीति से गये।
युधिष्ठिर को राजा के रूप में पीछे रखा गया,
नकुल सहदेव अर्जुन के रथ तक सैनिकों को पहुंचने नहीं देंगे,
अर्जुन बाणों से रास्ता साफ करेंगे
भीम उस गलियारे से आगे बढ़कर प्रलय मचा देंगे।
अर्जुन ने अपना काम बखूबी किया।
-अरब से फंडिंग लगभग बंद।
-पाकिस्तान जैसे सपोर्टर की हालत खराब।
-कश्मीर में शांति।
-राम मंदिर का निर्माण।
-दावतें और इफ्तार बंद।
-सीएए और एनआरसी।
-यूसीसी के आने की धमक।
-एक साथ प्राचीन मंदिरों(मस्जिदी कब्जा) पर दावा।
-पूरी एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी अखिलेश जैसे अर्द्धमु स्लिम नेता सत्ता से बाहर।
अर्जुन द्वारा साफ किये रास्ते पर भीम ने अपने बुलडोजर से कहर बरपा रखा है।
अब इस भगदड़ में उनकी एकमात्र उम्मीद थोड़े से वक्त की चाहत है ताकि अर्जुन के नजदीक पहुंच सकें।
लेकिन क्या नकुल-सहदेव ऐसा होने देंगे?
उनकी पूरी कोशिश अर्जुन के रथ तक पहुंचकर रथ को रोकने की है।
तब भी नकुल सहदेव ही इस युद्ध की कुंजी थे, आज भी वही हैं।
बिखरे हुए कौरव बनकर आक्रमण करना चाहेंगे या अर्जुन के रक्षक नकुल सहदेव बनकर?

Related Articles

Leave a Comment