भाजपा के विरोधी भाजपा को बहती गंगा बोलते हैं। और यह सच भी है। तात्पर्य यह है कि एक से एक नीच व्यक्ति भी जब तक भाजपा मे रहता है, भले ही ऊपरी मन से सही, दिखावे के लिए ही सही राष्ट्रभक्त और हिन्दुत्व वादी रहता है। हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या भाजपा मे आते हैं, तो टीका लगाने लगते हैं, भगवा पहनने लगते हैं, हिन्दू वादी हो जाते हैं। यही स्वामी प्रसाद अब सपा मे गए हैं जल्द ही टोपी पहने रोजा की दावतें करते नजर आएंगे। बुक्कल नवाब सपा से भाजपा मे आते हैं तो हनुमान चालीसा पढ़ते नजर आते हैं। और भी ढेरों उदाहरण हैं। व्यक्ति वही है, बस जिस विचारधारा वाले दल मे जाता है वैसी ही सोंच हो जाती है।
इसी लिए ध्यान रखिए उम्मीदवार मायने नहीं रखता। मायने रखता है दल की विचार धारा। यही स्वामी प्रसाद जब भाजपा मे थे तो इनको दिए वोट ने राम मंदिर बनवाया। यही जब सपा मे हैं तो इनको दिया वोट राम भक्तों पर गोलियां चलवाता है। बाकी आने वाले दिनों मे भाजपा से ढेरों विधायक मंत्री छोड़ कर जाने वाले हैं। इस वक्त अस्सी प्रतिशत सांसद विधायक माननीय भाजपा के हैं। जिसने काम ठीक नहीं किया, उसका टिकट कटेगा, जिसका कटेगा उसमे कुछ लोग निःसंदेह इधर उधर मुंह मारेंगे।
ध्यान रखिए व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण है विचाधारा। आपका समर्थन यदि भाजपा को है तो वह भाजपा के हिन्दुत्व, विकास और राष्ट्रवाद पर होना चाहिए। आपका समर्थन यदि सपा को है तो जातिवाद, तुष्टीकरण और अपराध आधारित ईकानमी को है, बिल्कुल क्लियर कान्सेप्ट होना चाहिए दिमाग में।