Home हमारे लेखकनितिन त्रिपाठी भारत और अमेरिका में …………

भारत और अमेरिका में …………

by Nitin Tripathi
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चूंकि भारत से गया था तो अमेरिका मे मुझे ड्राइविंग मे विशेष दिक्कत हुई। ढेरों टिकट मिलीं, साथ ही साथ अमेरिकन सरकार ने यह पक्का कर लिया कि मुझे मनुष्यों के समाज वाली ड्राइविंग आ जाए।
प्रथम तो लाइसेंस ठोंक बजा कर मिलता है। लर्निंग लाइसेंस के लिए एक्चुअल्ली पुस्तक पढ़नी पड़ती है, टेस्ट पास करना होता है। फाइनल लाइसेंस मे सारे नियमों का पालन जैसे कि कोई हो न हो टी जंक्शन पर आपको गाड़ी पूरी तरह से रोकनी होगी, फिर धीमे धीमे आगे बढ़िए। बगल की लेन मे मीलों तक कोई न हो फिर भी लेन चेंज करनी है तो इन्डिकेटर देना होगा। चौराहे पर अगर कोई लाइट न हो तो पक्का रुकना होगा पूरी तरह से। फिर देखिए जो पहले रुका हो वह पहले जाएगा। ऐसे बेसिक नियमों से लेकर स्पीड लिमिट, समानांतर पार्किंग तक सब चेक कर ही फाइनल लाइसेंस मिलेगा। शुरुआत मे बीमा महंगा होगा, बगैर चालान पाए गाड़ी चलाएंगे तो धीमे धीमे सस्ता होता जाएगा।
भविष्य मे भी यदि गलती करेंगे चालान कटेगा। जैसे जैसे चालान कटेंगे, गाड़ी का बीमा महंगा होता जाएगा। जेब से पैसा जाएगा अपने आप अक्ल ठिकाने आ जाएगी। एक लेवल के पश्चात कुछ समय के लिए लाइसेंस सस्पेंड हो जाएगा। ज्यादा हो रहा है तो फिर से एक दस घंटे का वीडियो बैठ कर देखना पड़ेगा जिसमे कायदे से फिर से सब समझाया जाएगा, टेस्ट देना होगा। और बेइज्जती करनी होगी तो आपकी गाड़ी के पीछे एक टोल फ्री नंबर लिख दिया जाएगा कि इनकी ड्राइविंग का फीडबैक इस नंबर पर भेजो। और गलती करेंगे, तो सजा भी मिलेगी, पब्लिक सर्विस मे सप्ताह भर तक चौराहे पर खड़ा कर दिया जाएगा कि ट्रैफिक पुलिस की मदद करो, चौराहे पर झाड़ू लगाओ। कुछ गलतियाँ सपने मे भी न करें जैसे दारू पी कर गाड़ी चलाना अन्यथा पूरा जीवन परिणाम भुगतेंगे। ऑब्वियसली बड़ी गलतियों जैसे दारू पीकर गाड़ी चलाने मे तुरंत जेल है ही।
अंततः अपने आप आपको सभ्य समाज के नियमों का पालन आ जाता है।
मेरा मोदी जी से विशेष आग्रह है कि एक दिन टीवी पर आकार घोषणा कर दें कि आज से भारत के सभी लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस इलीगल माने जाएंगे। फिर से पहले अनलाइन टेस्ट दो, पास करो, तब नया लाइसेंस मिलेगा। इधर की समस्या यह कि अड्वान्स चीजें छोड़िए नब्बे प्रतिशत को यह नहीं मालूम होता है कि सफेद लाइन और पीली लाइन मे अंतर क्या है। dotted लाइन और स्ट्रेट लाइन मे अंतर क्या है। दो गाड़ियों के बीच कितना सेफ डिस्टेंस होना चाहिए – 99% को नहीं मालूम। बाई द वे यह सब लर्नर लाइसेंस के टेस्ट मे सिखाया पूंछ जाता है, पर वह तो घूस देकर अपने आप बन जाता है।
कुछ चीजों के नियम बहुत स्ट्रिक्ट किए जाने चाहिए। हाइवै पर रोड पर गाड़ी पार्क हो, उलटी दिशा से आ रही हो – अटेम्पट to मर्डर का केस होना चाहिए। यह जो हाईवे पर भी लगातार क्लच ब्रेक ऐक्सीलेरेटर का इशतेमाल करते रहते हैं, गाड़ी की रेगुलर चेक कर उन पर उतनी ही तगड़ी पेनल्टी लगानी चाहिए। वह जो चौड़े हाईवे पर सबसे राइट वाले लेन पर चालीस की स्पीड मे और लेफ्ट वाली लेन मे 120 की स्पीड मे चलाते हैं, उन पर भी गैर इरादतन हत्या के मुकदमे लगने चाहिए। दारू पीकर गाड़ी चलाना तो खैर अटेम्पट to मर्डर है ही। वह जो बेवजह हॉर्न बजाते हैं और वह जो बगैर हॉर्न सुने आँखों से देख नहीं पाते, इनके लाइसेंस पर्मनन्ट जब्त होने चाहिए। गाड़ियों की चेकिंग मे गाड़ी के साइड मिरर और बैक मिरर भी चेक होने चाहिए कि ठीक पोजीशन पर लगे हैं कि नहीं या उन्हें ड्राइवर ने शक्ल देखने के लिए अजस्ट कर लिया है।
आज से पाँच वर्ष पूर्व फिर भी ठीक था। वर्तमान भारत मे इतने हाईवे, एक्स्प्रेस वे बन रहे हैं, गाड़ियों की स्पीड लगातार बढ़ रही है, बहुत सख्त आवश्यकता है कि ऐसे हर व्यक्ति जिसे सड़क के नियम नहीं मालूम हैं, उसे सड़क पर उतरने न दिया जाए।

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