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भारत की हड़प्पा क़ालीन सभ्यता

by Nitin Tripathi
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एतिहासिक प्रमाण हैं भारत की हड़प्पा क़ालीन सभ्यता के समय जो शहर होते थे उनकी प्लानिंग बहुत शानदार होती थी. पूर शहर ब्लॉक्स पर आधारित होता था. ख़ूब चौड़ी मुख्य सड़कें जो नब्बे डिग्री के ऐंगल पर काटती थी. उनसे थोड़ी कम चौड़ी सड़कें जिनके दोनों ओर मकान होते थे. मकान एक मंज़िले या दुमंज़िले होते थे. हर मकान में लेटरीन बाथरूम होता था. पक्की नालियाँ, घर में भी और वह नालियाँ सड़क के दोनो ओर पक्की नालियों में मिलती थी. यह पक्की नालियाँ बड़े नालों में मिलती थी

शहर के बीचो बीच बाज़ार होती थी. बड़े सामुदायिक केंद्र अर्थात कन्वेंशन सेंटर होते थे जिनमे प्रदर्शनी लगती थी, उत्सव मनाए जाते थे, शहर के लोग एकत्रित होते थे, समारोह होते थे. सार्वजनिक स्विमिंग पूल होते थे जिनमे लोग स्विमिंग का आनंद लेते थे.

हमारे पूर्वजों के बनाए शहर आज की तारीख़ के भी आदर्श शहर माने जाएँगे. फिर बीच में मुग़ल क़ालीन असभ्यता का आगमन हुआ. जो रेगिस्तान में रहते थे जहाँ थोड़े बहुत कच्चे पक्के घर बना कबीलों में रह जाते थे. परिणाम यह हुआ कि तब भारत के शहर गंदे बदबू दार होने लगे. शहर से सामुदायिक केंद्र ग़ायब होने लगे, लोग अपने घरों के बाहर ही त्योहार मनाने लगे. समुदाय वाली भावना चली गई. महिलाएँ परदे में रहने लगी, स्विमिंग पूल आदि लक्शरी माने जाने लगे क्योंकि रेगिस्तान में पानी नहीं होता था. पतली गंदी संकरी बदबू दार गलियों वाले शहर जिनमे बस इन गलियों और मकानों के अतिरिक्त कुछ ना हो – शहर का विकास इस तरह से होने लगा.

नरेंद्र मोदी जी वाराणसी में वही कर रहे हैं जैसा वाराणसी वैदिक काल में था, मुग़ल क़ालीन असभ्यता से पूर्व. शहर में सड़कें चौड़ी हो रही हैं, गंदगी साफ़ हो रही है, बाहर शौच जाना बंद हो रहा है, नालियाँ पक्की हो रही हैं, भव्य मंदिर बन रहे हैं, बड़े सामुदायिक केंद्र बन रहे हैं.कुछ मित्रों के पेट में दर्द है कि ऐसा करने से काशी का मूल रूप समाप्त हो जाएगा, उन्हें बता दिया जाए काशी का मूल रूप बहुत भव्य रहा है. यह काशी के नाम पर जो आप गंदी गालियाँ, संकरे मकान, बग़ैर शौचालयों के पब्लिक प्लेस, बिना पुस्तकालय/ सामुदायिक केंद्र के शहर का उदाहरण देते हो, ऐसा काशी या कोई वैदिक शहर नहीं था, हाँ रेगिस्तान में कबीले अवश्य ऐसे होते थे, क्योंकि वहाँ सुविधाओं का अकाल था. फिर गंदगी में रहते रहते उनकी आदत ऐसी हो गई कि भारत में आए तो यहाँ भी वही आरम्भ कर दिया.
धन्यवाद दीजिए कि मोदी जी ने काशी को अपना चुनावी क्षेत्र चुना और काशी अपने मूल भव्य रूप में वापस आ रहा है.

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