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भारत कैसे लाभ में रहने वाला है?

by रंजना सिंह
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दुनियाँ में तेजी से बदलता हुआ Geopolitical Landscape – भारत कैसे लाभ में रहने वाला है?
रूस-यूक्रैन के बीच लड़ाई जब शुरू हुई थी, तब से ही ये लगने लगा था कि अब World Order बदलेगा, और जैसे जैसे West ने रूस पर sanctions लगाने शुरू किए, ये बदलाव बहुत तेज गति से होने लगा।
Geo-Politics में कोई बड़ा बदलाव दिखने में 10-20 साल लगते हैं, लेकिन रूस-यूक्रेन की लड़ाई के बाद कुछ हफ़्तों में ही ये बदलाव दिखने लगे हैं।
कुछ खास बदलाव आए हैं, जैसे-
1. NATO के देशों ने US की बात का अक्षरशः अनुसरण करना बंद कर दिया है। यूरोप के अधिकतर देश रूस से किसी भी हालत में Energy Import खत्म नहीं करने वाले, अमेरिका चाहे जितना जोर लगा ले, कोई फर्क नही पड़ता।
2. इस मामले में दुनियाँ की दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (PPP), चीन और भारत ने एकदम neutral व्यवहार किया है, जिससे US को झटका लगा है।
3. पश्चिमी देशों को पहली बार ये अहसास हुआ है कि भारत एक संप्रभु देश है, जिसका नेतृत्व झुकने में विश्वास नही करता।हमारे प्रधानमंत्री एक Tough Negotiator हैं और देश के भले के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। इसीलिए शुरू के कुछ दिन की भिनभिनाहट के बाद पश्चिमी देशों ने भारत को कोसना बन्द कर दिया। भारत भी Quad जैसे मंच से अपनी मर्जी के संदेश देने में सफल हुआ।
4. मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सबसे बड़े सहयोगी, सऊदी अरब और UAE ने President Biden से बात तक नही की…..ये अमेरिका की डिप्लोमेसी के लिए बहुत बड़ा झटका है।
5. रूस पर sanction लगाने के बाद पश्चिमी देश निश्चिन्त थे, कि ये रूस के अंत की शुरुआत है। लेकिन मामला उल्टा पड़ गया है, क्योंकि जिस हिसाब से Geo Political positioning हुई है, अब मामला Dollar के global dominance और अमेरिका की दादागिरी के अंत की ओर जाता दिख रहा है।
6. चीन ने रूस के बैंकिंग सिस्टम को गिरने से बचाया है, और अपने banking solutions रूस को दिए हैं, वहीं भारत भी रूस के साथ banking के मामले में बातचीत कर रहा है, जल्दी आपको अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है।
7. सऊदी अरब ने चीन को तेल offer किया है और इसके लिए युआन-रियाल का उपयोग होगा, डॉलर को bypass कर दिया जाएगा।
8. ताइवान और जापान को अब अमेरिका पर शक होने लगा है कि चीन के किसी आक्रमण के दौरान अमेरिका उनकी रक्षा कर भी पायेगा या नहीं।
9. जर्मनी जैसे देश ने अपने डिफेंस बजट में 100 बिलियन डॉलर डालने की घोषणा की है, क्योंकि उसे भी भविष्य में किसी लड़ाई में अमेरिका की मदद की कोई उम्मीद नहीं है।
10. अमेरिका ने जिस तरह से अफ़ग़ानिस्तान और यूक्रैन को अकेला छोड़ा, उससे उसके सहयोगियों के मन में गलत संदेश गया है, भविष्य में ये देश आत्मनिर्भर रहना पसंद करेंगे।
11. इसके अलावा अभी BRICS और SCO के आने वाले कदम देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि ये तय करेंगे कि आगे का world order कैसे चलेगा।
इन सबसे ये साफ है कि अमेरिका की Diplomacy इस समय सबसे confused दौर से गुजर रही है।उनके अजीबोगरीब कदम इस गिरावट को और तेज ही करेंगे।
चाहे यूक्रैन में Militia भेजना हो या आस पास के देशों को यूक्रैन में हथियार सप्लाई करने के लिए दबाव डालना, या फिर ताजा कदम टर्की को अपना S400 यूक्रैन को देने का order हो…..ये सब long term में यूरोप को अस्थिर ही करेंगे।
Global World Order की repositioning के इस दौर में, भारत को क्या क्या फायदे होने वाले हैं?
1. भारत अब रूस से तेल खरीद रहा है, IOCL, BPCL, और MRPL ने बड़े आर्डर दे दिए हैं, तेल भी जल्द भारत आ जायेगा। ये transaction रुपया-रूबल में होगा, डॉलर bypaas किया जाएगा।
2. अब ईरान और इराक भी भारत को discount rate पर तेल offer कर रहे हैं और भारत खरीदेगा।
इसका फायदा दोतरफा होगा। एक तो तेल की कीमतें स्थिर रहेंगी। आज पश्चिमी देशों में तेल की कीमत पिछले 2 महीने में 40-50% बढ़ चुकी हैं, लेकिन भारत मे तेल की कीमतें नही बढ़ी। चुनाव के बाद कई experts ने पेट्रोल डीजल की कीमत में 25-40 रुपये का इजाफा होने की बात की थी, आज 10 दिन हो गए हैं चुनाव के नतीजे आये, तेल की कीमत नहीं बढ़ी।
दूसरा बड़ा फायदा होगा विदेशी मुद्रा का बचना और अपनी मुद्रा में transaction करना।
3. रूस से ढेरों पश्चिमी कंपनियों ने पलायन कर लिया है, कुछ तो permanent exit ही मार गयी हैं। अब टेक्नोलॉजी हो, हार्डवेयर हो, सर्विसेज हों, या Products हों, जनता तो इनकी मांग करेगी ही….और इसकी भरपाई सिर्फ 2 देश ही कर सकते हैं, भारत और चीन। भारत aggressive खेल रहा है, और Oil exploration, IT, Electronics आदि areas में अच्छा खासा मार्केट भारत को मिलने जा रहा है।
4. फार्मा – रूस के भारत मे राजदूत हैं डेनिस अलिपोव… उनका कहना है कि पश्चिमी फार्मा कंपनियों के देश से चले जाने की वजह से अब भारत वहाँ बड़ा player बनेगा। उनके अनुसार भारतीय फार्मा कंपनिययाँ जल्दी रूस में जगह बना लेंगी। यहाँ ये कहना जरूरी है कि भारतीय फार्मा कंपनियों की इज्जत और credibility चीन से कहीं बेहतर है……कई बिलियन डॉलर का मार्केट मिलेगा हमें।
5. खाद्य एक्सपोर्ट – रूस और यूक्रैन दुनिया में सबसे अधिक अनाज एक्सपोर्ट करने वाले देशों में हैं…..दोनों अभी distracted हैं और भारत इसका लाभ उठाने जा रहा है। फिलहाल खबर ये है कि भारत इजिप्ट को कई हजारों टन अनाज एक्सपोर्ट करने जा रहा है।
इसके अलावा भारतीय सरकार चीन, टर्की, ईरान, सूडान, बोस्निया, नाइजीरिया जैसे देशों से बात कर रही है और कई मिलियन टन अनाज इन्हें भी एक्सपोर्ट करेगी।
लोग उलाहना देते हैं, कि मोदी तो गुज्जु है, बनिया है…..ये है वो है…..बंधुओं जब देश के फायदे की बात हो, तो हर किसी को एक चतुर बनिये की तरह ही सोचना चाहिए…..देश का फायदा होगा, तभी देशवासियों को फायदा मिलेगा…..यही अर्थनीति होती है, यही कूटनीति होती है…..और हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारा नेतृत्व एक Tough Negotiator के हाथ में है।
(पोस्ट इतनी अच्छी लगी कि साँझा करने का लोभ संवरण नहीं कर पायी। इसके लेखक श्री मनीष शर्मा जी का हृदय से आभार इस सार्थक विवेचना के लिए)

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