Home हमारे लेखकनितिन त्रिपाठी भारत बनाम अन्य देश

भारत बनाम अन्य देश

by Nitin Tripathi
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अमेरिका जैसे देशों में यदि कोई अंग्रेज बेटा किसी भारतीय या चीन या किसी दूसरे देश से आए नागरिक की ख़राब अंग्रेज़ी की हंसी उड़ाता है तो समझदार माँ बाप समझाते हैं कि जिसकी तुम हंसी उड़ा रहे हो वह तुमसे कम से कम एक भाषा ज़्यादा जानता है. वह हिंदी भाषा भी जानता है और टूटी फूटी अंग्रेज़ी भी जान काम चला लेता है, पर तुम्हें तो अंग्रेज़ी के अलावा कोई दूसरी भाषा नहीं आती.
दुर्भाग्य वस ऐसी समझ वाले लोग भारत में नहीं मिलते. भारत में जितने भी लोग अंग्रेज बनते हैं, उनमें 99.99% की लिखी हुई / बोली हुई अंग्रेज़ी सुन कोई भी अंग्रेज बता सकता है कि इस व्यक्ति की मूल भाषा अंग्रेज़ी नहीं है. लेकिन हाँ इन काले अंग्रेजों को भारत में कोई ऐसा मिल जाए जिसकी अंग्रेज़ी थोड़ी कमजोर हो फ़िर देखिए.. ऐसे लोग आपको माल / हवाई अड्डे/ बड़े रेस्टोरेंट में खूब मिलते हैं.
स्वस्थ मंत्री मनसुख जी गुजरात के एक छोटे गाँव के सामान्य परिवार में जन्म लेकर सरकारी विद्यालय में पढ़ अपनी क़ाबिलियत के बल पर आज भारत के स्वस्थ मंत्री बने हैं. किसी भी सभ्य समाज / लोक तंत्र में ऐसे लोगों की मिशालें दी जातीं. लेकिन इधर एक बड़ा तबका इन सो कॉल्ड एलीट और नॉट सो एलीट गाँव देहात के वो सपाइए जो ढंग से हिंदी ना लिख पाएँ मनसुख जी की अंग्रेज़ी का मज़ाक़ उड़ा रहे हैं.
बाक़ी आपके दिमाग़ में भी अगर ऐसा कोई भाव आए तो याद रखिए आप खुद कितने ही बड़े अंग्रेज क्यों ना हों मनसुख जी को हिंदी, गुजराती और काम चलाऊ अंग्रेज़ी आती है, आपसे एक भाषा ज़्यादा उन्हें आती हैं. तो इस लिहाज़ से भी कम से कम आपसे ज़्यादा काबिल हैं वह. बाक़ी वह कोई लेखक नहीं हैं कि उनकी लेखनी की समीक्षा हो, वह मंत्री हैं उनके कार्यों की समीक्षा होगी.

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