महाराष्ट्र में शिवसेना (बालासाहब गुट) के एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर, मोदी जी की भाजपा ने एक बार फिर मेरे, मोदी जी को काफी हद तक समझपाने के अहंकार का मर्दन कर दिया है। यह क्यों हुआ, कैसे हुआ और किसने यह निर्णय लिया इस पर बाद में, जब सब सूत्र एक माला में बंध जाएंगे तब लिखूंगा। इस अप्रत्याशित निर्णय की घोषणा के बाद मेरे ज्ञानचक्षुओं ने लीक से हट कर एक विचार को आकृत लेते हुए देखा है।
क्या मोदी जी की भाजपा ने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना कर, भारत की वंशवादी राजनीति में #shindemodule उतार दिया है?
मैं समझता हूं, ठाकरे परिवार की शिवसेना में, विचारधारा से तिरस्कृत और ठाकरे परिवार के प्रति ,’ निष्ठा प्रथम’ के नागफांस में जकड़े एकनाथ शिंदे को, भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री बनाना, दक्षिण से उत्तर तक, पश्चिम से पूर्व तक जितने भी क्षेत्रियवंशवादी दल है, उनके लिए यह क्षीतिज में उठ रहे प्रलयंकारी बवंडर से कम नहीं है। वो चाहे तमिलनाडु में करुणानिधि परिवार की डीएमके हो, तेलंगाना में चंद्रशेखर राव तेलंगाना राष्ट्र समिति हो, महाराष्ट्र में शरद पवार परिवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी हो, आंध्रप्रदेश में जगन रेड्डी परिवार की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी हो, बिहार में लालू यादव परिवार की राष्ट्रीय जनता दल हो या फिर उत्तरप्रदेश में मुलायम यादव परिवार की समाजवादी पार्टी हों।
दशकों से इन परिवारों द्वारा, शीर्ष पद से निषेध किए गए वा नेपथ्य में धकेले गए शिंदो को, एकनाथ शिंदे का उदय, एक प्रेरणा देगा। उनमें, उनके शीर्ष पद पर पहुंचने के मृत्युपरायण हो चुके स्वप्न को, संभावना का बल मिलेगा। ये जहां उनके सामर्थ्य को ऊर्जावान करेगा वही उनमें आशा का संचार होगा और वंशवाद की राजनीति को विध्वंस करने की प्रेरणा देगा।