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मारवाड़ी बासा संभवत: देश के उन प्रारंभिक फूड चेन में से एक है, जिसका नाम ही भरोसे का प्रतीक था। यह बेहद विकेन्द्रित किस्म का केन्द्रित​ फूड चेन था। जिसमें एक ब्रांड वैल्यू तो थी लेकिन मालिकाना हक किसी एक के पास नहीं था। अब धीरे-धीरे बासा देश भर में कम होते जा रहे हैं। लेकिन जिन लोगों ने किसी भी मारवाड़ी बासा में खाना खाया है, उन्हें जरूर बासा के लोगों का व्यवहार याद रहा होगा। वहां का माहौल घर जैसा ही होता था।
घर के बाहर यदि आपको घर जैसा खाना है तो मारवाड़ी बासा उसका एक पर्यायवाची था। जिन दिनों रिपोर्टिंग के सिलसिले में महीने में पन्द्रह दिन—बीस दिन बाहर रहना होता था, उन दिनों जिस भी शहर में गया, सबसे पहले मारवाड़ी बासा की तलाश की। जहां बासा नहीं मिला, वहां नई दूकान तलाशना भी एक चुनौती होती थी।
बासा एक शहर से दूसरे शहर व्यवसाय के सिलसिले में आने जाने वाले मारवाडियों के सहयोग से प्रारंभ हुआ। ऐसे बासा को प्रारंभ करने के लिए बड़े मारवाड़ियों ने आर्थिक सहायता भी दी। जिससे एक शहर से दूसरे शहर आने जाने वाले लोगों को कीफायती कीमत पर घर जैसा खाना मिल पाए। बासा में कभी रोटी की कीमत नहीं ली जाती। वहां प्लेट के हिसाब खाना देते हैं और वहां कोई खिलाने वाला आपकी रोटियां नहीं गिन रहा होता। अब समय के साथ वहां की स्थितियां भी बदल रहीं हैं। लंबे समय से किसी मारवाड़ी बासे में जाना नहीं हुआ।
आज दिल्ली में मारवाड़ी बासा के नाम पर एक छोटी सी दूकान पर नजर गई तो चला गया। दिल्ली में बहुत दिनों के बाद मिट्टी की हंडिया में दही देखने को मिला। उनसे कीमत पूछी तो उन्होंने बताया— 160 रुपए किलो। 40 रुपए पाव।
मैने पूछा उनसे कि यह कीमत अधिक नहीं है, उनका कहना था कि इससे कम में बेच कर हम अपने ग्राहकों की सेहत से समझौता नहीं कर सकते?
बासा मालिक का यह बयान चिन्ता में डालने वाला है। मदर डेयरी आज भी अपनी दही को 63 रुपए किलो बेच रहा है। दूध की कीमत बढ़े हुए 48 घंटे से अधिक हो गए लेकिन दही की कीमत अब भी 63 है। कहां 160 और कहां 63?
क्या हम सब रोज थोड़ा—थोड़ा ‘हल्का जहर’ लेने को मजबूर किए जा रहे हैं? पर्यावरण से लेकर भोजन तक सब टाक्सिक होता जा रहा है। किसी को इस बात की परवाह है। ऐसा लगता नहीं।
क्षेपक : लंबे समय तक मुझे यही लगता था कि सभी मारवाड़ी व्यवसाय के क्षेत्र में हैं। बाद में मुझे जब किसी ने बताया कि पत्रकार अनिल चमड़िया मारवाड़ी हैं, साथ ही और भी लोग समुदाय से निकल अलग—अलग क्षेत्रों में सक्रिय हैं तो मैने ‘व्यवसायी वाली’ अपनी राय बदल ली।

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