Home राजनीति मुझे वो बच्चा याद आता है
मुझे वो बच्चा याद आता है तब कलेजा बैठ जाता है। वो मेरे आंखों के सामने अपने रिमोट वाले हैलिकॉप्टर को उड़ा रहा था। उसका हैलिकॉप्टर, कभी इधर धर्राटे काटता अभी उधर… लेकिन… पता नहीं क्या तकनीकी दिक्कत हुई कि अचानक रिमोट और हैलिकॉप्टर से सम्बन्ध का विच्छेदन हो गया
और हैलिकॉप्टर आवारा पतंग की तरह जमीन पर धड़ाम हो गया। बदन से सब बिखर गया…इधर पहिये…उधर पंखे… और किनारे बदन बदरंग…
बच्चे ने जब हैलिकॉप्टर के अंगों की शिनाख्त की तब उसके कंठ की चित्कार!!!
पूछिए मत!! मैं क्या पूरा गांव-जवार हिल गया।
मैं व्यक्तिगत इस घटना से बहुत व्यथित हुआ और घटना के तीसरे दिन मौका निकाल कर उस बच्चे के पास उसके दुख में मरहम लगाने पहुंचा।
लेकिन यह क्या!! बच्चा तो हैलिकॉप्टर के बिखरे हुए जिस्मों को खिलौना बनाकर खेल रहा था। अब उसके लिये पंखा, टायर और विकलांग हैलिकॉप्टर तीनों खेलने के सामान बन चुके थे। हांलांकि यह मेरे लिए आश्चर्य और संतोष दोनों का विषय था।
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मित्रों! आदरणीय अखिलेश जी द्वारा ढाई गुना सीट जीतना, सांसदी छोड़कर विधायकी आजमाना, नेता प्रतिपक्ष होना एक टुकड़े-टुकड़े की ख़ुशी है.. जो उनके समर्थक पूरे जोश के साथ जी भरकर के जी रहें हैं…. लेकिन यह मेरे लिए आश्चर्य विषय भी है और संतोष का भी।
हांलांकि वो जिस गति से आ रहे थे ( आ रहे हैं श्री अखि…..) यक़ीनन वो उस बच्चे का रिमोट कंट्रोल से विच्छेदित हैलिकॉप्टर जैसा ही कुछ था लेकिन धरती पर खंडित होने के बाद उस खण्ड-खण्ड का सम्मान जो उनके समर्थकों द्वारा दिया गया वो बेहद महत्वपूर्ण है..सम्माननीय है…और न जाने क्या-क्या है।
बस जयकार हो।

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