बहुत समय पहले एक बन्दा कभी मोहम्मद साहब की कहानी भारतीय धारा से सुना रहा था……
वह इतना चतुर था कि उस कहानी को उसने कृष्ण और बलराम के जैसे प्लाट करने की कोशिश की और जब उसने लिखा कि
” हुसैन ने कुछ मूर्तियों को मोहम्मद साहब के कंधे पर चढ़कर तोड़ा ..”
(मुझे पूरी तरह से यह वाक्य याद नहीं है लेकिन लिखा था कुछ ऐसा ही ) वैसे यह बात शायद उस बन्दे को भी याद न हो
तो उस कहानी के लिए बहुत से हिंदुओं ने भी तालियाँ बजायी, एक बात स्पष्ट कर दूं ताली बजाने वाले अक्सर हिंदुत्ववादी थे , आज उनकी पोस्ट देखती हूँ तो लगता है ये खुद को हिंदुत्ववादी कहने वाले कभी किसी की पोस्ट पढ़ते समझते भी हैं या इमेज के हिसाब से कमेंट रियेक्ट कर देते हैं…..?
अब बन्दा आजकल सिद्धार्थ बनकर घूम रहा है जब उस तरह से सफल नहीं हो पाया तब इस तरह से कोशिश कर रहा”
खैर , उसने सिद्धार्थ को चुना इसका अर्थ है वह अभी भी या तो भटका हुआ है या अंदर ही अंदर उसके बीच इस्लाम और सच्चाई के बीच लड़ाई चल रही है या फिर एक शातिर है..?
” जिनका मन शांत हो जाता है वो बुद्ध को चुनते हैं सिद्धार्थ को नहीं..”
सिद्धार्थ को चुनने का अर्थ सीधा है कि वह अभी “अल्लाह” में यकीन रखता है और बुद्ध का उपयोग सिर्फ हिन्दू धर्म पर प्रहार करने के लिए है,
बुद्ध को मानने वाला “एक नियंता एक ईश्वर धारणा से मुक्त होता है ” लेकिन वह ईश्वर नहीं मगर देवताओं को मानता है.. बुद्ध इंद्र , वरुण का अस्तित्व स्वीकार करते हैं .!
यह तो काफिरियत हो जाएगी न.!!!!
इसलिए महोदय बुद्ध का उपयोग सिर्फ अपनी योजना के तहत कर रहें हैं।
खैर , कलयुग चरम पर जा रहा कोई किसी को भी चुन लें व्यक्ति अपने असली चरित्र से नहीं भाग सकता..!