Home राजनीति मौलाना, इमाम का नाम आते ही इन जांच एजेंसियों के आ जाते है पसीने

मौलाना, इमाम का नाम आते ही इन जांच एजेंसियों के आ जाते है पसीने

देवेन्द्र सिकरवार

349 views
द्वितीय विश्वयुद्ध में जनरल मैकआर्थर ने अपने मेजर जनरल बॉन फेलर्स को दस दिन के अंदर राजा हिरोहितों के बारे में रिपोर्ट देने का आदेश दिया कि वह युद्ध समर्थक थे या नहीं और यह रिपोर्ट दी भी गई।
सोचिये विश्वयुद्ध जैसी घटना और जांच के लिए दस दिन मात्र।
इधर हमारी जांच एजेंसियों के काबिल अफसरान चौदह-चौदह दिन के तीन रिमांड लेंगे और फिर जांच चलती ही रहेगी।
बीच-बीच में हवाले से खबर आएगी कि विदेशी एजेंसियों से संपर्क के ‘सुराग’ मिले हैं
फिर छह सात महीनों में चार्ज शीट आएगी और फिर अदालतों में अंतहीन सिलसिला अपीलों का।
अदालतों को कोसा जाता है लेकिन दरअसल हमारी जांच एजेंसियां भी उनसे कंपटीशन करती हैं।
जब वीडिओ उपलब्ध है, कुबूलनामा मौजूद है तो अब जांच किस बात की।
दरअसल किसी मौलाना, इमाम का नाम आते ही इन जांच एजेंसियों के तोपखान अफसरों की चड्डियाँ गीली हो जाती हैं और इस बार भी हो जानी हैं क्योंकि भारत में इस्लामिक आतंकवाद की हर घटना में देवबंद, बरेलवी और तबलीगी मौलानाओं का हाथ होता है।
बाकी देख लीजिएगा इस मामले को भी।
जांचें चलती रहेंगी, दोनों की मटन बिरयानी की दावत चलती रहेगी, सुराग मिले एकाध मौलाना से डरते-डरते पूछताछ होती रहेगी और केस घिसटता रहेगा।
मी लोड साहिबान इसे आवेग में हुई हत्या मानकर और उनकी भरी जवानी का हवाला देकर सात साल या चौदह साल का आजीवन कारावास देकर अपने पेट की गुड़गुड़ी को थाम लेंगे।
तुर्रा ये कि हम एनआईए हैं।

Related Articles

Leave a Comment