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इनके कुकृत्यों पर लगाम ना लगा पाने के लिए राष्ट्रवादी तुरंत मोदी सरकार को कोसना शुरू कर देंगे। वे यह रियलाइज़ नहीं करते कि सरकार ऐसे तत्वों की फंडिंग को नियंत्रित कर सकती है; उनकी कार्यपद्धति को जांच सकती है; लेकिन किसी अन्य क़ानूनी कार्यवाई – जैसे कि अरेस्ट करना – को कोर्ट में जस्टिफाई करना होता है जिसमे कई वर्ष लग जाते है; जबकि ऐसे तत्व कुछ ही सप्ताह में बेल पर बाहर आ जाते है।
हाल के कुछ वर्षो ने जिन राष्ट्रों ने आंतरिक हिंसक प्रदर्शन से निपटने के लिए राजकीय हिंसा का सहारा लिया है, वे सब हिंसा की अग्नि में जल रहे है। उदाहरण के लिए, इस समय इथियोपिया, सीरिया, यमन, सोमालिया, माली, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, पाकिस्तान, म्यानमार, कजाखस्तान इत्यादि राष्ट्र में अस्थिरता फ़ैली हुई है। यूगोस्लाविया टूटकर बिखर गया।
फिर, हिंसा के समर्थक लोगो से कड़ुआ प्रश्न है। अगर राजकीय हिंसा हुई, और उसमे प्रदर्शनकारियों की मृत्यु होना शुरू हुई, तो कितने लोगो की मृत्यु के बाद शांति स्थापित होने की सम्भावना है? तब क्या होगा, जब गैर-भाजपा राज्य सरकारे अपने यहाँ भाजपा समर्थको को मारना शुरू कर दे? आखिरकार अराजक तत्वों को कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन मिला हुआ है। फिर, वही राजनीतिक दल विरोधी देशो को भारत पर हमले का इशारा कर दे? तब क्या होगा?
इथियोपिया के एक वर्ष लम्बे गृह युद्ध (2019 – 20) में कई हज़ार नागरिक मर गए है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 52000 नागरिक एवं हज़ारो सैनिको की मृत्यु हो गयी। विशाल जनसँख्या भुखमरी एवं विस्थापन झेल रही है।
राजकीय हिंसा के कारण इंडोनेशिया का ईस्ट तिमोर प्रान्त एक अलग देश बन गया; सूडान से अलग होकर साउथ सूडान राष्ट्र की उत्पत्ति हो गयी।
विश्व बैंक के अनुसार किसी भी हिंसक अस्थिरता एवं अराजकता से निपटने में एक पीढ़ी खप जाती है। क्या आप अपने तथा अपनी संतति का भविष्य को दांव पर लगाने को तैयार है? क्या आप भीषण महंगाई (Hyperinflation) के लिए रेडी है?
प्रधानमंत्री मोदी को पता है कि वह एवं उनकी सरकार राजनैतिक रूप से अलग-थलग है; केवल जनता के समर्थन एवं “आशीर्वाद” से उनको संबल मिलता है।
उनको यह भी पता है कि इस हिंसा एवं अराजकता से राजनीतिक तरीके से निपटा जाना चाहिए। ठीक वैसे ही जैसे कश्मीर के अराजक तत्वों से राजनीतिक तरीके से 370 हटाकर एवं राज्य का विभाजन करके निपटा गया है।
क्योकि कोई भी बड़ी हिंसात्मक कार्रवाई मोदी सरकार को अपने वृहद लक्ष्य से दूर ले जाती है।
क्या हो सकता है मोदी सरकार का लक्ष्य?
मोदी सरकार का प्रथम लक्ष्य है भ्रष्ट अभिजात वर्ग का रचनात्मक विनाश करना; जो वह कर रहे है। इस वर्ग के विनाश से ही अराजक तत्वों का विध्वंस हो जाएगा क्योकि यही सड़ा-गला अभिजात्य वर्ग इन तत्वों को पाल-पोस रहा है, बढ़ावा दे रहा है।
दूसरा लक्ष्य है भारत का त्वरित विकास करना जो हो रहा है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओ ने भारत की विकास दर को विश्व में सबसे अधिक बताया है; भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती (क्रेडिट रेटिंग) एवं बैंकिंग के बारे में विश्वास व्यक्त किया है।
तीसरा लक्ष्य है चुनाव जीतना है। वह भी हो रहा है। अतः हर मुद्दे पे ताल ठोकने की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी के विज़न पर सतत विश्वास ही इन देशतोड़क शक्तियों को हताश कर देता है।
क्योकि विश्वास की कोई काट नहीं है।