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रक्षा-प्रमुख दुर्घटना बनाम विदेशी-षणयंत्र देखने की हमारी प्रवृत्ति

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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राष्ट्र के रक्षा-प्रमुख व अन्य लोगों का हेलीकाप्टर दुर्घटना में असामयिक निधन होना दुखद है। पिछले एक वर्ष में किसान-आंदोलन में सैकड़ों किसानों का शहीद होना भी दुखद है। रक्षा-प्रमुख, उनके साथियों तथा किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। हमारे समाज में बहुत बातों में आधारहीनता के साथ विदेशी षणयंत्र देखने की प्रवृत्ति एडिक्शन की सीमा तक है, हममें से बहुत लोग विदेशी षणयंत्र देखने के एडिक्टेड होते हैं।यदि व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग नहीं है तो मस्तिष्क में ठीक-ठाक तार्किक क्षमता होती ही है। अपने-अपने एक्सपोजर, अपनी-अपनी जानकारी के स्तर, अपने-अपने एजेंडे इत्यादि के  आधारों पर तर्क स्थापित कर लेना कोई बड़ी बात नहीं होती है। इसीलिए मैं हमेशा कहता हूं कि यदि तर्क का आधार ऑब्जेक्टिविटी नहीं है तो, तो तर्क वितर्क कुतर्क इत्यादि में अंतर नहीं रह जाता है। सोशल-मीडिया पर बहुत लोगों की पोस्टें देख रहा हूं। विदेशी षणयंत्र की संभावना के लिए कुछ बिंदुओं को आधार बनाया जा रहा है। आइए इनमें से कुछ-एक बिंदुओ पर कुछ छोटी-मोटी चर्चा कर लेते हैं।

  • रक्षा-प्रमुख ने कुछ समय पहले कोरोना को बायोलोजिकल युद्ध कहा। बहुत लोगों का मानना है कि यह बयान देने के कारण वे विदेशी षणयंत्र का शिकार हो सकते हैं। कोरोना को बायोलाजिकल युद्ध जनवरी-फरवरी 2020 से कहा जा रहा है। यह वह समय था जब भारत में कोरोना के अस्तित्व को ही नकारा जा रहा था। जिन देशों के राष्ट्राध्यक्षों इत्यादि लोगों ने कोरोना को बायोलोजिकल युद्ध/हथियार कहा, यहां तक कि चीन के खिलाफ अभियान चलाया, उन देशों में तो चीन इस तरह के षणयंत्र नहीं कर पाया। क्या यह मान लिया जाए कि भारत इतना कमजोर राष्ट्र है कि किसी सैन्य-अधिकारी के किसी बयान के कारण, दूसरे देश भारत की सीमा के अंदर षणयंत्र करके आसानी से हत्या कर सकते हैं। नहीं बिलकुल नहीं, मैं भारत को कमजोर देश नहीं मानता।
  • रूस व उक्रेन का मसला भी बहुत लोगों को विदेशी षणयंत्र का आधार लग रहा है, क्योंकि पुतिन ने भारत के साथ कुछ रक्षा सौदे किए। उक्रेन के लोग रूस का गुलाम नहीं बनना चाहते हैं। पुतिन साहब उक्रेन को रूस का गुलाम बनाना चाहते हैं। अमेरिका व योरप रूस को नियंत्रित करने के लिए उक्रेन के साथ खड़े हैं। लेकिन यदि उक्रेन के लोग रूस के साथ जुड़ना चाहेंगे तो अमेरिका व योरप कुछ नहीं कर पाएंगे। मुख्य मामला है कि उक्रेन के लोग क्या चाहते हैं, वर्तमान यथार्थ यह है उक्रेन के लोग रूस का गुलाम नहीं बनना चाहते हैंम जबकि पुतिन साहब ने पूरा जोर लगा रखा है। यह वैसे ही है जैसे चीन ताइवान को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है, वैसे ही रूस उक्रेन को नियंत्रण में लेना चाहता है।
रूस व भारत के बीच रक्षा सौदे जमाने से होते आ रहे हैं। रूस ने भारत को वैज्ञानिकी, तकनीकी, रक्षा व अंतरिक्ष तकनीक इत्यादि में बहुत समृद्ध किया है। भारत को रूस जैसे मित्र का आभारी रहना चाहिए। भारत एक संप्रभु राष्ट्र है, वह किसी भी देश के साथ अपने राजनयिक व रक्षा संबंधों को निर्धारित कर सकता है। चीन को संतुलित करने के लिए रूस के साथ सौदे करना भारत की जरूरत हैं। चीन की रक्षा तकनीक के विकास के मूल में रूस का सहयोग ही है। क्या यह मान लिया जाए कि भारत इतना कमजोर राष्ट्र है कि भारत यदि किसी देश के साथ रक्षा सौदे करता है तो देश के रक्षा-प्रमुख की हत्या का षणयंत्र विदेशी ताकतें सफलता से रच सकतीं हैं वह भी भारत की अपनी सेना के भीतर। नहीं बिलकुल नहीं, मैं भारत को कमजोर देश नहीं मानता।
  • रक्षा-प्रमुख की हवाई दुर्घटना, किसी दूसरे देश के अंदर या किसी दूसरे देश की सीमा से जुड़े इलाकों में नहीं हुई है। दुर्घटना सेना के सुरक्षित हेलीकाप्टर की हुई है, सेना के स्थान में जाते हुए हुई है, वह भी भारत के अंदर आंतरिक क्षेत्र में, सीमावर्ती इलाकों में नहीं।
    यदि यह विदेशी षणयंत्र है तो यह मानना पड़ेगा कि भारतीय सेना में विदेशी ताकतें इतना गहरे पैठ बनाए हुए हैं कि सेना के क्षेत्र में देश के रक्षा-प्रमुख की हत्या कर दी जाती है। तब तो यदि कभी किसी देश के साथ युद्ध होगा तो भारत टिक ही नहीं पाएगा।
    नहीं बिलकुल नहीं, मैं भारत की सेना को ऐसा नहीं मानता। मेरा मानना है कि भारत की सेना भारत के लिए ईमानदार है, भारत की रक्षा के लिए अपनी जान लगा देगी।
    MI-17 हेलीकाप्टर दुनिया के लगभग 20 देशों में प्रयोग किए जाते हैं, इन देशों में सबसे अधिक संभवतः भारत में। सफल हेलीकाप्टर माना जाता है। अंधेरे में, ऊंचाई व पर्वतीय परिस्थितियों पर उड़ान भरने में सक्षम है।
    बिना विदेशी षणयंत्रों के भी दुर्घटनाएं होती हैं। हेलीकाप्टर एक मशीन है, मशीन में कुछ तकनीकी खामी आ सकती है, चालकों से गलती हो सकती है, हेलीकाप्टर के उपकरणों की रूटीन जांच व देखरेख करने वालों से गलती हो सकती है। दुर्घटना बिना किसी षणयंत्र के केवल दुर्घटना हो सकती है। दुर्घटना होने के कई कारण हो सकते हैं।
    मेरा मानना है कि यह विदेशी षणयंत्र नहीं है। एक दुर्घटना है। सेना को दुर्घटना के कारणों की सघन जांच करनी चाहिए (कर ही रही होगी), ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से देश के वीवीआइपी लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।
    मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पण।
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    विवेक
    “सामाजिक यायावर”

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