Home विषयविदेश #लौट_के_बुद्धू_घर_को_आये
#लौट_के_बुद्धू_घर_को_आये
झेलेंस्की की जिंदगी खतरे में थी।
रूस के हाथों नहीं बल्कि सीआईए के हाथों।
ये छोटी सी बात मुझ जैसे आदमी को तभी समझ आ गई थी जब अमेरिकी विदेशमंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने वक्तव्य दिया कि अगर झेलेंस्की की हत्या हो जाती है तो भी यूक्रेन झुकेगा नहीं।
झेलेंस्की की समझ में आ गया कि अमेरिका उसे ‘यूक्रेन का हीरो’ बनाने की तैयारी में है।
बस ठगे हुये,कुढ़े हुये झेलेंस्की को सही दिशा में सोचना आ गया।
मजे की बात है कि अब पुतिन झेलेंस्की को बचाना चाहेंगे और अमेरिकी हर कीमत पर मारना।
भावुकता का राजनीति में कोई स्थान नहीं होता और राजनीति में घटनाक्रम के अनुसार प्रतिक्षण ‘रोल’ किस तरह बदलते हैं यह इसका एक शानदार उदाहरण है।
इन सबके बीच अमेरिकी विश्वसनीयता विश्व में दो कौड़ी की हो चुकी है।
नाटो में शामिल होने के इच्छुक पूर्वी यूरोपीय देश भी अब पुनर्विचार करने को बाध्य होंगे।
ताईवान, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे पुराने अमेरिकी सहयोगी भी अमेरिका पर अब पूरा विश्वास करने को तैयार नहीं।
परंतु जहाँ बिडेन अमेरिकी इतिहास के सबसे कमजोर और अविश्वसनीय नेता के रूप में उभरे हैं वहीं इस युद्ध में वैश्विक स्तर पर दो नेताओं की प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।
प्रथम हैं दृढ़ निश्चयी पुतिन जो इस युद्ध के लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त कर रहे हैं।
द्वितीय हैं नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जो तमाम उकसावे और अंतरराष्ट्रीय चापलूसियों के बावजूद अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए स्वतंत्र नीति पर डटे रहे

Related Articles

Leave a Comment