विनाशकाले विपरीत बुद्धि…महाराष्ट्र की राजनीती पर विशेष
संजय राऊत सार्वजनिक धमकी देकर अपने गुंडों की मुट्ठी भर फौज के साथ हिंसा का खेल खेलने के लिए सड़कों पर उतर गया है। ऐसा कर के उसने नेता की अपनी नकाब खुद ही नोंच कर फेंक दी है और अपना असली चेहरा-चरित्र पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया है।
संजय राऊत लेकिन भूल गया है कि मुंबई का मौसम पूरी तरह बदल चुका है। महाराष्ट्र में राजनीति और सत्ता के बदल चुके समीकरणों पर सबसे पैनी नज़र मुंबई पुलिस की होगी। अधिकारी अपने सियासी आका बदल चुके होंगे और नए आकाओं के संकेत की प्रतीक्षा कर रहे होंगे।
संकेत मिलते ही संजय राऊत के पालतू लफंगों का भूत कुछ घंटों या यूं कहिए कि कुछ मिनटों में उतार देंगे। 2000 में महाराष्ट्र के तत्कालीन गृहमंत्री छगन भुजबल ने यह कर के दिखाया था। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. अटल जी के हस्तक्षेप के कारण बाल ठाकरे की इज़्ज़त जैसे तैसे बच पायी थी। महाराष्ट्र की राजनीति का वह बहुत चर्चित प्रकरण है। उसके बाद लगातार 15 वर्षों तक छगन भुजबल ने इसी मुंबई में शिवसेना की छाती पर मूंग दली थी।