लोकतंत्र में वोट का महत्व है, यह सच है; लेकिन अंतिम सच नहीं। जनसंख्या बढ़ा लेने से कबूतर आसमान का राजा नहीं हो जाता। आसमान पर राज बाज ही करता है। और शायद आपको पता हो, फिर भी एक बार दुबारा जान लें। मादा बाज एक बार में अमूमन तीन अंडे देती है। वह उन्हें सेती भी है। उनसे बच्चे भी निकलते हैं और इसके बाद करीब एक महीने तक सब सामान्य चलता है। फिर जब वे सक्रिय हो जाते हैं तो तीनों शिशुओं के बीच खूनी जंग होती है। उनके माता-पिता वहीं बैठे देखते रहते हैं। हस्तक्षेप नहीं करते।
इस जंग के बाद उन तीन में एक ही बचता है। माता-पिता दो के मरने पर शोक नहीं मनाते। वे एक को ही पालते हैं और उसे भी लेकर करीब एक महीने बाद मादा बाज आकाश में उड़ जाती है। और जब वह अपनी ताकत भर पूरी ऊंचाई पर पहुँच जाती है तो वहीं से उसे उसी के हवाले छोड़ देती है।
समझ सकते हैं कि बाज अपनी जनसंख्या बढ़ाने पर बहुत ध्यान नहीं देता। कबूतर सिर्फ जनसंख्या बढ़ाता है। भौंरे बहुत दिखाई नहीं देते। मच्छर अपने तीन दिन के जीवनचक्र में सारी ऊर्जा जनसंख्या बढाने पर खर्च करते हैं। भेड़, बकरियां, मुर्गियां … सबका यही हाल है।
एक और बात, रावण के एक लाख पूत और सवा लाख नाती बताए जाते हैं। राम केवल चार भाई थे। उनमें भी दो ही लंका गए थे। सेना भी क्या थी, बानर भालू।
कौरव सौ थे। पांडवों का भी राजपाट हड़प चुके थे। पांडव केवल पांच थे। वह भी वनवासी। उनके अपने ही एक मामा सेना सहित कौरवों के साथ हो गए थे। कृष्ण की पूरी सेना कौरवों के साथ थी। पांडवों के साथ केवल कृष्ण।
विद्वान वेषधारी नालीकीट रामायण और महाभारत को इतिहास नहीं मानते तो न मानें। आप तो जानते हैं कि इन दोनों घटनाओं के केवल सांस्कृतिक ही नहीं, पुरातात्विक प्रमाण भी आज तक मौजूद हैं। और वे भी जबरिया मौजूद हैं। किसी सरकार ने उन्हें सहेजने की कोशिश नहीं की। अलबत्ता सबने उन्हें उजाड़ने की ही साजिशें रची हैं।
अभी ऐसे ही कुछ नालीकीट सच्चे इतिहास का एक ट्रेलर भर दिखाने वाली #द_कश्मीर_फाइल्स से सन्निपात ग्रस्त हैं। बक रहे हैं जुनूँ में क्या-क्या कुछ। उनके बकने को आप अपने फेफड़े पर न लें। अभी तो यह उनकी प्रोलेप्सिस है। अभी यह प्रोलेप्सिस पाइल्स में बदलेगी। फिर पाइल्स फिशर में। तब तक धीरज रखिए।
बस इतना ध्यान रखें, दुनिया की कोई भी फ़िल्म आपको सिर्फ आपका जख्म ही दिखा सकती है। आपका बल याद नहीं दिला सकती। आप, जो कि हनुमानजी की स्थिति में हैं, को आपका ही बल याद दिलाने के लिए जिस जामवंत जी की प्रतीक्षा है, वह भी आपके भीतर ही हैं। वही इतिहास जिसे नाली कीटों द्वारा बार बार और भाँति भाँति से दबाने-झुठलाने की साजिशें रची जा रही हैं, बस उन साजिशों में न फँसे। अपने इतिहास के प्रति अपनी ही अंतर्दृष्टि जगाएँ।