पूर्व वित्त मंत्री प्रणब मुख़र्जी के नार्थ ब्लॉक स्थित ऑफिस को सोनिया सरकार ने बग करवा दिया था जिसका पता जून 2011 में चला था। दूसरे शब्दों में मुख़र्जी के कार्यालय में जासूसी उपकरण लगवा दिए थे जिससे वे वित्त मंत्री की बात-चीत को सुन सके। उस समय के समाचारों में छपा था कि “सूत्रों” के अनुसार (यानी कि मुखर्जी के अनुसार), यह कार्य इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा किया गया था।
आखिरकार मुख़र्जी से किस आतंकी हमले का; हिंसा फ़ैलाने का; दंगे करवाने का खतरा था?
ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के विशिष्ट सलाहकार एलिस्टेयर कैम्पबेल ने लिखा था कि ब्लेयर की भारत यात्रा के दौरान सोनिया सरकार ने उनकी कार एवं होटल में जासूसी उपकरण लगवा दिए थे जिससे वे ब्लेयर की बातो को सुन सके। ब्रिटिश सीक्रेट सर्विस ने ऐसे कई उपकरण ब्लेयर के होटल रूम से ढूंढ निकाला था।
इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व अधिकारियों ने 1980 के दशक में राष्ट्रपति भवन में जासूसी उपकरण लगा दिया था जब राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह राजीव सरकार को डिसमिस करने का प्रयास कर रहे थे। उस समय के गृह मंत्री बूटा सिंह ज्ञानी जी की किसी भी नेता के साथ मीटिंग को गृह मंत्रालय में सुना करते थे।
राहुल के मम्मा-पप्पा ने यह “सम्मान” दिया था सेना के सर्वोच्च कमांडर को।
यही नहीं, उस समय इंटेलिजेंस ब्यूरो वित्त मंत्री वी पी सिंह के सरकारी निवास एवं कार्यालय की बात ख़ुफ़िया यंत्रो से सुनते थे।
जितनी भी घटनाओ का उल्लेख किया है, उनका आदेश सरकार के शीर्ष कर्ता-धर्ता से मिला था।
आखिरकार ब्लेयर, ज्ञानी जी, वी पी सिंह से किस आतंकी हमले का खतरा था? उनके सरकारी निवास स्थान एवं कार्यालयों को क्यों बग करवाया गया? क्या वे दंगे या हिंसा फ़ैलाने का प्रयास कर रहे थे? या फिर किसी विदेशी शत्रु से मिलकर भारत को चोट पहुँचाना चाहते थे?
अंत में, मेरा विश्वास उस दिन मोदी सरकार से उठ जाएगा जब मुझे पता चलेगा कि उनका ख़ुफ़िया तंत्र देश के शत्रुओ की बात नहीं “सुन” रहा है।
हर उस व्यक्ति की बात को “सुनना” होगा जो “लाल देश” से मिला हुआ है; आतंकी राष्ट्र से निर्देश लेता है; और भारत में आतंकी हमले, दंगे एवं अराजकता फ़ैलाने का प्रयास कर रहा है। जो भारत के टुकड़े-टुकड़े करने का नारा देता है; भारत की “चिकन नेक” को मोड़कर राष्ट्र को विखंडित करने की बात करता है।
शत्रुओ पर एक-एक पल निगरानी रखनी होगी।
चाहे वह शत्रु देश के अंदर हो या बाहर।