फोन पर शिव सैनिक बड़े नाराज थे। लोकतंत्र की हत्या की जा रही है, महाराष्ट्र में। देश देख रहा है।
मैने कहा— यह नाराजगी का नहीं बदला लेने का समय है। जैसे खून का बदला, खून होता है। उसी तरह पार्टी तोड़ने का बदला पार्टी तोड़ कर लीजिए।
शिव सैनिक मेरी बात शायद समझे नहीं। उन्हें थोड़ा और स्पष्ट करके बताया-
इस समय महाराष्ट्र के अंदर साम्प्रदायिक शक्तियां शिव सेना को तोड़ना चाह रहीं हैं। इसका साफ मतलब है कि वे शिव सेना से डर गए हैं। साम्प्रदायिक शक्तियों का सही प्रकार से मुकाबला उद्धव साहब ही कर सकते हैं।
वे मेरी बात अब भी नहीं समझ पाए। इसलिए पूछ लिया – यह बताओ कि तोड़ना क्या है?
मैने उन्हें फोन काटने से पहले यह सलाह दी है – कांग्रेस को तोड़ दो। कांग्रेस ने देश के हित में बड़े बड़े बलिदान दिए हैं। यह बलिदान भी वह साम्प्रदायिक शक्तियों के खिलाफ खुशी खुशी दे देगी।