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सपा बनाम भाजपा सरकार

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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सपा की सरकार थी. गोमती नगर में एक मंत्री जी का क़ाफ़िला जा रहा था, सैंकड़ों हूटर बजाती गाड़ियाँ. पूरे शहर की पुलिस की गाड़ियाँ 140 की स्पीड में मंत्री जी के साथ लगी थीं. एक ड्राइवर ख़ाली गाड़ी – मारुति वैन लेकर आ रहा था. उससे एरर ओफ़ जजमेंट रहा कि उसे लगा पूरा क़ाफ़िला निकल गया उसने गाड़ी रोड पर डाल दी. पीछे से आ रही पुलिस की गाड़ी ने ज़ोरदार टक्कर मार दी. वैन की धज्जियाँ उड़ गईं, ड्राइवर को ज़बर्दस्त चोट आई, हाथ पैंर फ़्रैक्चर हुआ. पुलिस वालों को भी मामूली चोटें आईं.

 

भाजपा सरकार में ये सब पास्ट की बातें लगते हैं. एक दो बड़े मंत्री छोड़ दिए जाएँ तो क़ाफ़िले किसी के नहीं. पुलिस का इस्कॉर्ट भी इक्का दुक्का बड़े मंत्रियों के लिए रहता है. वह भी एक गाड़ी. कई मंत्रियों के साथ तो बस एक पुलिस वाला हो गया, बहुत है. योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में राजनैतिक दादागिरी बिल्कुल समाप्त कर दी, यह एक बहुत बड़ा अचीवमेंट था. योगी सरकार ने बहुत सारे विभागीय कार्य ऑनलाइन कर उनमें भ्रस्टाचार समाप्त कर दिया, जो उत्तर प्रदेश के लिहाज़ से बहुत बड़ा अचीवमेंट है.

 

उपरोक्त घटना में जब गाडी के मालिक को  पता चला तो गाड़ी तो उसने गाडी को ट्रक में उठवा लाया था, पर ड्राइवर को पुलिस ने अवैध हिरासत में रख लिया. पचास हज़ार की माँग की छोड़ने के लिए. अनुनय विनय सोर्स से काम न चला. अंततः एक कांटैक्ट के थ्रू उन्ही मंत्री जी तक पहुँचे. मंत्री जी ने आमने सामने फ़ोन कर CO की सोनिया प्रियंका एक कर दीं. ड्राइवर को CO खुद गाड़ी में बिठा छोड़ने आया. इलाज भी अपने पैसे से कराया. यह घटना यदि आज हो तो पता है, दो लाख रुपया घूस देना पड़ेगा. मंत्री जी यद्यपि सब जान पहचान के हैं पर अधिसंख्य धीमी आवाज़ में फ़ोन करने से ज़्यादा कुछ न कर पाएँगे और उनके फ़ोन भी साहब का ड्राइवर उठाएगा.

राजनैतिक पावर शून्य करने का कोलैटरल डैमेज यह होता है कि फ़िर सत्ता पूरी तरह से ब्यूरोक्रेट और पुलिस के हाथ आ जाती है. लोकतंत्र में अंततः जन प्रतिनिधि जनता के लिए ज़िम्मेदार होता है, अधिकारी की भारत में कोई जवाब देही नहीं होती. इन दिनो यदि आप शहरी हैं तो आपका विशेष पुलिस / प्रशासन से कार्य नहीं पड़ता होगा. पर यदि कभी कार्य पड़े और ऐसा कार्य जिसमें ऑनलाइन ट्रेकिंग न हो तो आप देखिए रेट कई गुना बढ़े हुवे मिलेंगे, विधायक आदि के फ़ोन से तो रेट और बढ़ जाएँगे.

 

लखनऊ में सिंगल वन वे रोड पर पर जिस पर स्पीड लिमिट 45 है, उल्टी तरफ़ से पुलिस की गाड़ी नब्बे पर आ रही थी अकेले. फ़्लैशिंग नहीं थी कि कही अपराध रोकने जा रही हो. मोदी जी आ रहे थे तो दुकान बंद करवानी थी, हाइवे के बीच में पुलिस अंकिल ने अपनी गाड़ी रोकी हुई थी, उनका मुलाजिम पीछे वालों को डंडा दिखा रहा था. अभी पुलिस / ब्यूरोक्रेसी को इकमात्र भय वीडियो का रहता है. वह यदि न हो तो जवाब देही समाप्त होती जा रही है.

माफिया राज समाप्त करना बड़ा अचीवमेंट है. पर आगे यह भी ध्यान रखना है कि पुलिस उससे बड़ी माफिया न बन जाए. नेताओं का भ्रस्टाचार समाप्त होना प्रसंशनीय है पर यह भी ध्यान रखना है कि बाबू की घूस का रेट सौ रुपए का हज़ार रुपए न होना चाहिए

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