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समाज से उठायी गयी एक सच्ची कहानी

मधुलिका शची

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नायिका अभी खेलने कूदने के ही उम्र में थी लेकिन बेटी 11 साल की हुई नहीं कि रिश्तेदार पड़ोस की औरतें कहने लगती हैं : कहीं लड़का खोज रहे हो या नहीं इसके लिए ..!!
अरे अब नहीं खोजबीन करोगे तो कब करोगे , आखिर में रिश्ता थाल में सजाकर थोड़े ही मिल जाता है ..!
बिटिया है , बहुत भटकना पड़ता है , अरे देखो लखन अभी से नून सतुआ लेकर अपनी बिटिया का रिश्ता ढूढने निकल चुका है।
एक दो साल तो खोजने में ही लग जायेगा तब तक में 13 साल की हो जाएगी तब विवाह कर देना , और गौना पांच साल बाद कर देना..!!!
एक बेटी के बाप को ऐसे सुझाव और ताने अक्सर मिलते रहते हैं जिसमें यह भी लोग जोड़ देते हैं कि बेटी के बाप हो दांतों में तिनका दबाए समाज के पास लड़का ढूढने जाना , ई नहीं कि रुआब के साथ जाना..!
बेटी के बाप हो दबकर बात करना।
नायिका का पिता कई दिनों तक अपने मनमाफिक लड़का खोजता रहा पर कहीं न मिला फिर नायिका के पिता ने सोचा कि फुआ के परिवार में कई लड़के हैं उन्ही के यहां जुगत लगाता हूँ शायद दबाव में कम दहेज में शादी सम्पन्न हो जाये।
और हुआ भी वही लड़की 14 साल की हो चुकी थी ,उसका विवाह नायिका के पिता की फुआ के दूर के भतीजे के साथ सम्पन्न हुआ।
और एक दिन नायिका का पति अपने कुछ मित्रों के साथ निमंत्रण से वापस आ रहा था तभी किसी बात को लेकर उन लोगों की आपस मे लड़ाई हो गयी। रात का वक़्त था किसी को कुछ दिख नहीं रहा था । लड़ाई कुछ ज्यादा ही तेज हो गयी थी , खुद से दूर करने के लिए नायिका के पति ने दूसरे लड़के को धक्का दिया जिससे वह लड़का एक सूखे गहरे कुएं में जा गिरा…..
लड़के का सर फटने से उसकी मृत्यु हो गयी। अपने बचने का कोई रास्ता न देखते हुए नायिका का पति घरवालों को बताकर कहीं भाग गया पर लोग कहते हैं कि रास्ते में ही नायिका के पति को लड़के के घर वालों ने पकड़ लिया और उसे मार कर नदी में फेंक दिया।
किसी को कुछ भी नहीं पता वास्तव में हुआ क्या..!!!
पर नायिका इस खबर से टूट चुकी थी आखिर एक छोटी बच्ची ही तो थी जो इस इंतज़ार में अपने माथे पर सिंदूर लगाए रहती थी कि आज नहीं नहीं कल उसका पति आएगा…और उसे विदा कराकर ले जाएगा।
नायिका का पिता हद दर्जे का कंजूस था । उसे कई लोग सलाह देते कि कोई हर्ज नहीं है बेटी की पुनः शादी कर दो मगर वो जानबूझकर उनकी बात सुनता जो यह कहते कि
अब जिसके नाम का सिंदूर चढ़ गया तो चढ़ गया अब दूसरे से करना पाप है. !
नायिका के साथ वाली लड़कियों की शादी होती चली जा रही थी , सब अपने बच्चों के साथ जब नैहर आती तो नायिका अपने भाग्य को कोसने लगती ..!
किसी भी शुभ कार्य का उसे सहभागी नहीं बनाया जाता था क्योंकि लोग समझते थे कि इससे दोष होगा।
सुंदर सी नायिका सूखती चली जा रही थी कि एक दिन उसकी सास उसी के गांव के मंदिर में दर्शन करने आयी ।
नायिका की सास के मन में ईश्वर ने अपनी बहू को देखने का विचार जाग्रत किया और उन्होंने गांव के ही किसी व्यक्ति से संदेश भिजवाया कि मुझे अपनी बहू को देखना है , मन्दिर दर्शन करने के लिए आई हूँ कोई उसे लेकर चला आये..!
नायिका की माँ नायिका को लेकर मन्दिर पहुंची तो सास बहुत ही भावुक होकर बोली; आस बनाये बैठी थी कि बहू को पूरे ही विधि विधान के साथ गृह प्रवेश कराउंगी मगर विधाता ने ऐसा खेल रचा..!!!!
ऐसा कहकर सास बहू दोनों ही गले लगकर रोने लगी ..!
आज 18 साल बाद अपनी बहू को देख रही… हे भगवान बड़ा दुःख सह रही बिटिया अब हम औरत जात का करूँ इसके लिए जिससे इसका दुःख दूर हो सके।
नायिका इस बार जोर से रोते हुए बोली : ए अम्मा हमको ले चलो ..! हम वहीं कहीं कोने में पड़ी रहब पर अब ई दुःख हमसे न सहा जाई, एक नौकरानी समझकर हमका रख लो सबकी सेवा करूंगी…
एकायक झटके में सास बोली; चलु बिटिया चल .. अब जो भी होए देखा जाए.. अगर तू वहाँ रहेगी तभी मैं भी वहाँ रहूँगी..! अन्यथा नहीं..!
नायिका की सास सीधे वहां से अपनी बहू को लेकर चल देती है , घर पहुँचने पर बहुत बड़ा विवाद होता है।
गांव के लोग नायिका की सास को कोसते हुए कहते थे …अरे राम राम..! घोर कलयुग आ गवा बा..
बताओ बिना गौना का लेकर चली आयी है …अरे किसके साथ रखेगी..? बेटा तो है ही नहीं..!
नायिका की सास बोली; इसकी दुबारा शादी करवाउंगी
तो नायिका के ससुर बोले; चल लेकर आई तो आयी पर दुबारा शादी करवाने का जो विचार पालकर बैठी है अगर कल को महेश वापस आ गया तो…!!!!
तब क्या करेगी..!
यहां पर नायिका की सास मौन हो गयी।
पूरे समाज में नायिका के सास की आलोचना होती थी सब उसे पापिन कलंकिनी कहते थे।
उस समय के समाज में किसी स्त्री का ऐसे डट कर खड़ा हो जाना बहुत बड़ी बात थी जिसे समाज पचा नहीं पा रहा था।
घर बाहर हर जगह से तानों की बौछार होती रहती थी पर सबको नज़र अंदाज़ करते हुए नायिका और नायिका की सास अपने कार्य में लगे रहते थे।
एक दिन की बात है नायिका की ननद को चौथी बेटी हुई जिससे ननद के घर वाले एकदम से उदास हो गए क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए था , इच्छा पूरी न होने पर तरह तरह के ताने नायिका की ननद को मिल रहे थे।
नायिका सास से बोली : अम्मा एक बात बोलें..!
सास: हां बोल..!
नायिका: जीजी के घर वाले सब जीजी को ताना दे रहे हैं लड़की होने पर , ऐसा करो न अम्मा उस लड़की को हमें दिला दो..!
हम पाल पोसकर का बड़ा करेंगे उसे..!
नायिका की सास समझ गयी कि इसके अंदर ममता की लहरें उफान मार रही हैं इसलिए उन्होंने हाँ में सिर हिलाया और अपनी बेटी के घर वालों से यह बात कहलवा देती हैं..!
ननद के घर वाले बड़े प्रसन्न हुए , उन लोगों ने ननद को कुछ दिन नैहर में ही रहने के लिए भेज दिया… करीब 2 महीने बाद ननद अपनी बेटी नायिका को सौंप कर रोते हुए वापस अपने घर आ गयी।
लड़के की चाह में ननद फिर गर्भवती हुई लेकिन विधाता का खेल तो देखिए फिर बेटी ही हुई। बेटी होने के बाद ननद के ससुराल वाले फिर सोचे कि नायिका इस बेटी को गोद ले ले ……,
नायिका खुशी खुशी दोनों का पालन पोषण करने लगी अब तो वह लगभग भूल चुकी थी कि उसका कोई अपना दुःख भी था।
नायिका का पति कभी नहीं लौटा मगर उसकी जिंदगी में दो सुंदर गुड़िया आ चुकी थी जिनके सहारे वो अपनी उम्र काट रही थी…..सास भी इस दुनिया जा चुकी है ।
बूढ़े ससुर की सेवा का सारा भार नायिका पर है ।
नायिका के बेटी की शादी को हुए पूरे 6 साल हो गए हैं , अभी कुछ दिन पहले उसे नानी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

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