Home विषयव्यंजन लेख सुन्दरजा आम
हम लोग जबलपुर होते हुए अमरकंटक गये थे और वहाँ से वापस लौट रहे थे ।
रास्ते भर स्थानीय लोग अपने अपने इलाके के स्थानीय देसी आम , सड़क किनारे बेच रहे थे ।
अपनी आदत है कि जहां जाओ वहां का स्थानीय पानी , भोजन , अनाज , फल , सब्जी , सड़क किनारे बिकने वाला street फ़ूड , स्थानीय व्यंजन …… स्थानीय पकवान जरूर चखो ……..
ऐसे में हमको जहां कहीं कोई स्थानीय आम दीखता , हम रोक के जायजा जरूर लेते । इस Tour में हमने तरह तरह के देशी आम खाये …… इसी क्रम में नागौद के पास , सड़क किनारे ये भाई दिखे । उनके पास कुछ अलग किस्म का आम दिखा ।
हमने रोक के पूछा कि ये कौन सा आम है ……
सुंदरजा ……
Taste कराओ …….
दुकानदार ने एक आम खाने को दिया …….
वाह …… क्या लाजवाब स्वाद था …… बड़े बड़े आम थे ……
एक एक आम 400 – 500 ग्राम का …… और उसमे गुठली ….. एकदम छोटी सी , बहुत पतली सी …….
और स्वाद ऐसा लाजवाब ……. सुन्दरजा आम की मिठास कुछ अलग किस्म की है , मने कुछ खटास लिये हुए …… कुछ कुछ चौसा जैसी …… पर चौसा से एकदम अलग सी ……
बहरहाल , हमने 10 किलो सुन्दरजा आम ले लिये …….
बाद में जब सुन्दरजा आम के बारे में गूगल पे जानकारी जुटाई तो पता चला कि ये तो रीवाँ इलाके का विश्वप्रसिद्ध आम है जो अपने अनूठे स्वाद के लिये जाना जाता है और विदेशों तक Export होता है ।
कभी रीवांचल जायें तो ये आम अवश्य चखें ।
Additional Information

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में होने वाला सुंदरजा आम अपनी महक से देशी विदेशी लोगों को दीवाना बना रहा है। बिना रेशों वाला यह आम कई विशेषताओं से भरा है।

सुंदरजा आम अब देश के अलावा विदेशों में भी लोगों को अपना दीवाना बना रहा है। गोविंदगढ़ के बगीचों से निकलकर ये आम विदेशी जमीं पर अपनी महक बिखेर रहा है। इस आम की मिठास का कोई तोड़ नहीं है यही वजह है कि लोग इसे खाने के लिए बेताब रहते हैं। इस आम की खासियत ये है कि यह बिना रेशों वाला होता है और इसे शुगर के मरीज भी खा सकते हैं।

पहले सुंदरजा आम केवल गोविंदगढ़ किले के बगीचों में होता था, लेकिन अब गोविंदगढ़ इलाके के साथ ही रीवा के कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में भी बहुतायत मात्रा में इसकी खेती की जाती है। हालांकि  गोविंदगढ़ के बागों में होने वाला सुंदरजा आम हल्का सफेद रंग लिए होता है, जबकि रीवा के कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में हल्का हरा होता है।

गोविंदगढ़ किले में होने वाला सुंदरजा आम रियासत काल में राजे-राजवाड़ों की पसंद हुआ करता था, लेकिन आज इसकी मिठास ने विदेशी सरजमीं पर बसे लोगों के अपना दीवाना बना दिया है। दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित कई राज्यों के लोग इसे एडवांस आर्डर देकर मंगवाते हैं। इतना ही नहीं विदेशों में भी सुंदरजा मेंगों को खूब पसंद किया जाता है, खासतौर से फ्रांस, इंग्लैंड अमेरिका, अरब देशों में इसकी काफी डिमांड है।

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