अगर ‘लालसिंह चड्ढा’ फ्लॉप कराने में कामयाब रहे तो बॉलीवुड की दिशा ही नहीं उसका चरित्र भी बदल जायेगा। कल से आमिर खान की मूवी पीके पर क्रोध प्रदर्शित किया जा रहा है जबकि इसका इ स्लामिक एजेंडा तो ‘सत्यमेव जयते’ से जारी था।
यह हिंदुओं को उनकी एक दो कुप्रथाओं पर आँसू बहा रहा था लेकिन तीन तलाक, बुर्का और मानवता के नाम पर धब्बे जैसी हलाला प्रथा पर एक शब्द भी कभी बोला हो तो बताए। बात करता है भारत से प्रेम की लेकिन 2015 की हज में भारत के घोषित दुश्मन आतंकवादी तारिक जमील के साथ गलबहियां करता है।
भारत के मित्र राष्ट्र इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलने वाले बॉलीवुड कलाकारों की टोली से नाम खींच लेता है लेकिन वर्तमान में भारत के सबसे बड़े शत्रु तुर्की के एरदेगों की बीवी की कदमबोसी करने खुद पहुँच जाता है। भारत में रहकर, इसका अन्न जल ग्रहण करने के बाद भी भारत में ही संसार के सबसे उदार धर्म हिंदुत्व को असहिष्णु घोषित करता है लेकिन इ स्लामिक आतंकवाद के विरुद्ध एक शब्द भी कभी भूलकर भी फूटा हो।
करोड़ों के डोनेशन इस्लामिक संस्थाओं को जकात के नाम पर, आतंकवादी शाहिद अफ्रीदी व इमरान के अस्पतालों को देता है पर मजाल है कि कभी वनवासी प्रकल्पों को एक फूटी कौड़ी देता हो।
इसमें पृथ्वीराजकपूर जैसे देशप्रेमी व महादेव के भक्त के खून को लजाने वाली कुलघातिनी करीना खान भी है जो तैमूर को महान शासक बताकर स्पष्ट करती है कि क्यों उसने और उसके धर्मांध पति सैफ ने अपने बेटे का नाम एक लाख निर्दोष हिंदुओं के हत्यारे कसाई तैमूर के नाम पर रखा था।
इसलिये यह बॉलीवुड की नहीं जेहाद के हरावल दस्ते के ताबूत की आखिरी कील है।
यह दाऊद कंपनी के साम्राज्य का खात्मा है।
यह हमारी शक्ति की परीक्षा की घड़ी है।
इसके बाद हमें सेंसर बोर्ड व सरकार की ओर मुंह नहीं ताकना होगा बल्कि ये हम सुनिश्चित करेंगे कि बॉलीवुड में हिंदुत्व के विरुद्ध सिनेमा बनाना तो दूर कोई सोचे भी नहीं।