अब ये उजड्ड फैसला करेंगे कि हनुमानजी का जन्म कहाँ हुआ था?
न इन्होंने पुराण पढ़े न इतिहास बस धंधा चमकाने और चढ़ावे के लिए अपने अपने अड्डे को हनुमान की जन्मस्थली बताने के लिए तथाथित धर्मसंसद का आयोजन कर लिया।
अगर इन्होंने हिंदू ग्रंथों पुराणों का धेला भर भी अध्ययन किया होता तो ये विवाद उठता ही नहीं।
वास्तव में हनुमान पुलह कुल में उत्पन्न ‘वानर’ नामक #किम्पुरष समूह में ‘केसरी’ कुल में #किम्पुरुषवर्ष के गंधमादन पर्वत पर माता अंजना के गर्भ से उत्पन्न हुये थे जो आज पामीर के बगल में ‘तिएन शान’ कहलाता है। (रामायण, महाभारत, रघुवंशम, सभी पुराण)
अब कोई यह न कहे कि यह तो भारत से बाहर हुआ क्यों कि इस तर्क से 1947 से पहले लाहौर सिंध में जन्मा व्यक्ति भारत से बाहर का सिद्ध हो जाएगा।
दरअसल उस समय भारत की सीमाएं ऑक्सस नदी अर्थात वंक्षु नदी तक थीं जबकि उससे परे के क्षेत्र व त्रिविष्टिप देवलोक में सम्मिलित थे।(रामायण, महाभारत, सभापर्व, रघुवंशम, सभी पुराण)
कालांतर में जब भगवान अगस्त्य ने विंध्यराज को सहमत कर विंध्यक्षेत्र को लांघा तो तमाम नृजातियाँ दक्षिण की ओर आईं जिनमें वानर टॉटेम के किंपुरुष भी थे।
ऋक्ष शाखा ने जांबवान के नेतृत्व में सौराष्ट्र के ऋक्ष पर्वत पर (भागवत में कृष्ण व जाम्बवान का द्वंद्वयुद्ध स्थल) और फिर ऋक्षराज जिनका वास्तविक नाम कुछ और रहा होगा दक्षिण में किष्किंधा पर अपना स्थान बनाया।
यह एक प्रकार का गणसंघ था जिसमें वानरों के बारहों कुल के यूथपतियों ने ऋक्षराज को अपना राजा चुना। बालि व सुग्रीव इन्हीं के पुत्र थे।
देवों विशेषतः विवस्वान के अनुरोध पर केसरी व नील कुल के वानर भी #पंचवटी नासिक क्षेत्र में आ बसे परंतु सौराष्ट्र के ऋक्षराज जाम्बवान की तरह वे भी किष्किंधा के अंतर्गत थे और युवराज हनुमान केसरीराज का प्रतिनिधित्व करते हुए किष्किंधा में गणसभा में उपस्थित होते थे।
इसी कारण आज भ्रम और लोभवश हनुमान जी का जन्म कर्नाटक या नासिक में बताने पर शास्त्रार्थ व दंड पेल रहे हैं।
मैं पूरी जिम्मेदारी से और एक हिंदू होने के अधिकारी से विवाद कर हिंदुओं में एक और प्रांतीय विभाजन करवाने का षड्यंत्र कर रहे इन भगवाधारियों मंडलेश्वरों व धर्म के ठेकेदारों को चुनौती देता हूँ कि मेरे द्वारा स्थापित एक भी तथ्य को रामायण, महाभारत, पुराणों के आधार पर असत्य सिद्ध करके दिखाएं।
(शीघ्र प्रकाशित पुस्तक ‘Unsung Heroes ‘इंदु से सिंधु तक’ में आपको ऐसे कई प्रश्नों के शास्त्र, विज्ञान व भूगोल प्रमाणित उत्तर मिलेंगे।)

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