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हमारी पीढ़ी सौभाग्यशाली है

by Jalaj Kumar Mishra
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सांस्कृतिक संक्रमण वाले इस कालखण्ड में हमारी पीढ़ी सौभाग्यशाली है कि उसके हिस्से अपनी संस्कृति और संस्कार को बचाने का दायित्वबोध है।राष्ट्रवाद का असली मतलब तभी फलीभूत होगा जब आपके विचार परिवार का कोई व्यक्ति सुदूर बैठा हो फिर भी आपकी नजरों में उसकी अहमियत आपके पास के परिक्रमा में लगे लोगों से अधिक हो! यह ना सिर्फ एक मजबूत इकोसिस्टम को‌ बल‌ देगा बल्कि सांगठनिक चरित्र को भी बदलेगा और अंतिम पायदान कार्य कर रहे पर आपके विचार परिवार के लोगों को एक अलग आत्मबल देगा।

 

सदानीरा उत्सव एक विचार परिवार के साहित्य और कला से जुड़े लोगों का मिलन बिन्दु है।

 

हिन्दी साहित्य और कला में बिहार का अप्रतिम योगदान होने के बाद भी बिहार राजनैतिक कारणों से हाशिए पर रहा है।यह परिदृश्य अब बदल‌ रहा है। यह सत्य है कि बिहार के बिना हिन्दुस्तान का सांस्कृतिक और साहित्यिक दोनों इतिहास खाली खाली लगता है। आज भी बिहार सारे देश को अपने कंधे पर ढो रहा है वह भी बिना खुद की परवाह किए हुए! बिहार का यहीं त्याग इसकी और विशिष्ट बनाता है।

 

संस्कार भारती, गोपालगंज ईकाई के अध्यक्ष,भारत और भारतीयता को अपने कलम से समृद्ध करने वाले हिन्दी के यशस्वी और प्रसिद्ध युवा साहित्यकार सर्वेश तिवारी ‘श्रीमुख’ के साथ पूरे अपने विचार परिवार की तरफ से आप सभी को मैं आमंत्रण देता हूँ आइए और इस सांस्कृतिक चेतना के यज्ञ में अपनी आहुति दीजिए!

 

 

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