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हर-हर-महादेव!

by Swami Vyalok
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हर-हर-महादेव!

व्यक्ति की सबसे बड़ी समस्या यही है कि वह सच नहीं बोल पाता। खुद से भी नहीं। प्रकृति ने उसे जो बनाया है, वह रह ही कहां पाता है। आवरण पर आवरण। चेहरे पर चेहरा। जब व्यक्ति स्वयं तक से सत्य नहीं बोलता, तो भला वह शिव कहां रह जाएगा, और जब शिव नहीं रहेगा तो अ-सुंदर तो होगा ही।
सुबह 6 बजे की शिफ्ट का सुखद या दु:खद परिणाम है कि पांच बजे उठना ही पड़ता है। उठते ही कानों में दूर से आते भजन और शिव-स्तुति ने दिन बना दिया। शिव को सोचते हुए, इस महाशिवरात्रि पर दुनिया के पागलपन को देखकर यही समझ में आया कि शिव केवल एक चीज सिखाते हैं–खुद के प्रति सत्य। हालांकि, सत्य इतना कठोर कि खुद की पत्नी को यज्ञाग्नि में जाना पड़ता है। हम सब लोग कितने कापुरुष हैं, कितने क्लीव हैं, कितने झूठे हैं?
हम घर में, परिवार में, दोस्तों में, समाज में, व्यापार में, कामकाज में, पढ़ाई में, और सबसे बढ़कर खुद के प्रति भी सत्यनिष्ठ नहीं। हम सब कुछ अधूरा करते हैं। शिव पूर्णता सिखाते हैं।
भोग हो तो ऐसा कि विश्व की सुधि नहीं, योग हो तो ऐसा कि खुद की सुधि नहीं। प्रेम ऐसा कि प्रेमिका के शव को लेकर उन्मत्त की भांति नाचे, विश्व मात्र के प्राणों पर ला दे, और वीतराग हो तो श्मशान भूमि की राख लपेटे।
आसक्ति हो तो ऐसी जो स्तनयुगलों पर चित्रकारी करने वाला अप्रतिम चित्रकार बना दे, निरासक्ति हो तो ऐसी कि मृगछाल ही काफी हो, बर्फ से ढंके पहाड़ में घर हो, संपत्ति हो तो ऐसी कि पूरा विश्व भर जाए और कंगाली हो तो ऐसी कि कमंडल लेकर भीख भी मांग लें।
कल्याणकारी हों तो विश्व भर का विष पी ले, क्रोधांध हो तो तीसरी आंख खोल विश्व को भस्मीभूत कर दे। नाचो तो मदहोश होकर, नटराज बन जाओ, समाधि लो तो पत्थर हो जाओ।
शिव पूर्णता के प्रतीक हैं। अप्रतिम होने का संकेत हैं। कर्म जो भी हों हमारे, वह पूर्णता पाएं। हम लोग तो सब खुदरा माल बटोरने में लगे हैं। आधा तीतर, आधा बटेर में पूरी जिंदगी निकल जाती है। आधी उम्र जब बीत गयी तो समझ में आया है कि अरे, ये तो बीत ही गया।
हम लोग अधूरे हैं, क्योंकि हम झूठे हैं। सबको खुश रखने के चक्कर में, हम खुद से ही नाराज लोगों की भीड़ हैं, इसीलिए आज पूरी दुनिया इतनी बीमार है, प्रलय के करीब है।
वीरता हो तो रुद्र जैसी, युद्धकला हो तो महादेव जैसी, दान हो तो आशुतोष जैसा, योग हो तो महेश की तरह, सुंदर हो तो शिव की तरह।
महाशिवरात्रि पर मेरे आराध्य शिव हम सभी के रुग्ण मनों को शांति दें, शीतलता दें और हमारा कल्याण करें, यही कामना है।

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