सभी महिलाओं (विवाहिता या अविवाहिता) को गर्भपात का अधिकार दिए जाने पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले को ऐसे देखिए-
विवाहित या अविवाहित दोनों ही स्थितियों में जहाँ पारिवारिक सँस्कार, पारिवारिक सामंजस्य हैं वहाँ ऐसी कोई समस्या आने ही वाली नहीं और ऐसे में इस तरह के किसी अधिकार के अस्तित्व में होने अथवा न होने का कोई मतलब ही नहीं।
इसलिए तीन तलाक की तरह इसे एक वर्ग विशेष की समस्या और उसका समाधान मान कर देखने की जरूरत है। जिस गाँव जाना नहीं वहाँ के रास्ते और भूगोल पर क्या समय गंवाना! और यदि समय देना जरूरी लगता है तो इसका अर्थ है कि आप अपने आसपास ऐसी स्थिति पैदा होने का माहौल देख और समझ रहे हैं। समाज के जिस वर्ग को यह करवाना होता है वह इस फैसले के बिना भी ऐसा करता रहा है
और गैरकानूनी होने की वजह से असुरक्षित ढँग से इसे अंजाम दिया जाता है जो आखिरकार एक लड़की या महिला के स्वास्थ के लिए खतरनाक ही होता है। इसलिए बेहतर होगा कि फैसले की आलोचना या समालोचना में समय देने के बजाय अपने आसपास यानी अपने परिवेश पर ध्यान दिया जाय।
“सुप्रीम कोर्ट ने आज देश की सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दे दिया, चाहें वो विवाहित हों या अविवाहित। इस ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के तहत 24 सप्ताह में गर्भपात का अधिकार सभी को है। इस अधिकार में महिला के विवाहित या अविवाहित होने से फर्क नहीं पड़ता”