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भूमि जेहाद एक सुनियोजित षणयंत्र

by Praarabdh Desk
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कैसे पलायन होता है और कैसे कब्जा होता है, क्या लैंड जिहाद होता है वह समझने के लिए आप बस बेट द्वारिका टापू का अध्यन करलें तो सब प्रक्रिया समझ आ जायेगी।
कुछ साल पहले तक यहाँ कि लगभग पूरी आबादी हिन्दू थी।
यह ओखा नगरपालिका के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र है जहाँ जाने का एकमात्र रास्ता पानी से होकर जाता है।इसलिए बेट द्वारिका से बाहर जाने के लिए लोग नाव का प्रयोग करते हैं।।
यहाँ द्वारिकाधीश का प्राचीन मंदिर स्थित है।
कहते हैं कि 5हजार साल पहले यहाँ रुक्मिणी ने मूर्ति स्थापना करी थी।
समुद्र से घिरा यह टापू बड़ा शांत रहता था।
लोगो का मुख्य पेशा मछली पकड़ना था।
धीरे धीरे यहाँ बाहर से मछली पकड़ने वाले मुस्लिम आने लगे।
दयालु हिन्दू आबादी ने इन्हें वहाँ रहकर मछली पकड़ने की अनुमती दे दी।
धीरे धीरे मछली पकडने के पूरे कारोबार पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया।
बाहर से फंडिंग के चलते इन्होंने बाजार में सस्ती मछली बेची जिससे सब हिन्दू मछुआरे बेरोजगार हो गये।

अब हिन्दू आबादी ने रोजगार के लिए टापू से बाहर जाना शुरू किया।
लेकिन यहां एक और चमत्कार हो गया।
बेट द्वारिका से ओखा तक जाने के लिए नाव में 8 रुपये किराया लगता था।
अब क्योंकि सब नावों पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया था तो उन्होंने किराये का नया नियम बनाया।
जो हिन्दू नाव से ओखा जायेगा वह किराये के 100 रुपये देगा और मुस्लिम वही 8 रुपये देगा।
अब कोई दिहाड़ी हिन्दू केवल आवाजाही के 200 रुपये देगा तो वह बचायेगा क्या ?
इसलिए रोजगार के लिए हिन्दुओ ने वहाँ से पलायन शुरू कर दिया।
अब वहाँ केवल 15 प्रतिशत हिन्दू आबादी रहती है।
आपने पलायन का पहला कारण यहाँ पढ़ा।
रोजगार के 2 मुख्य साधन मछली पकड़ने का काम और ट्रांसपोर्ट दोनो हिन्दुओ से छीन लिया गया।

जैसे बाकी सब जगह राज मिस्त्री,कारपेंटर, इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री , ड्राइवर ,नाई व अन्य हाथ के काम 90% तक हिन्दुओ ने उनके हवाले कर दिये हैं।

अब बेट द्वारिका में तो 5हजार साल पुराना मंदिर है जिसके दर्शन के लिए हिन्दू जाते थे तो इसमे वहां के जिहादियों ने नया करने तरीका निकाला।
क्योंकि आवाजाही के साधनों पर उनका कब्जा हो चुका था तो उन्होंने आने वाले श्रद्धालुओं से केवल 20-30 मिनट की जल यात्रा के 4हजार से 5 हजार रुपये मांगने शुरू कर दिये।
इतना महंगा किराया आम व्यक्ति कैसे चुका पायेगा इसलिए लोगो ने वहां जाना बंद कर दिया।
अब वहाँ पूर्ण रूप से जिहादियों की पकड़ हो गई थी तो उन्होंने जगह जगह मकान बनाने शुरू किये, देखते ही देखते प्राचीन मंदिर चारो तरफ से मजारों से घिर गया।

वहाँ की बची खुची हिन्दू आबादी सरकार को अपनी बात कहते कहते हार चुकी थी, फिर कुछ हिन्दू समाजसेवियों ने इसका संज्ञान लिया और सरकार को चेताया।
सरकार ने ओखा से बेट द्वारिका तक सिग्नेचर ब्रिज बनाने का काम शुरू करवाया।
बाकी विषयो की जांच शुरू हुई तो जांच एजेंसी चौंक गई।
ऐसे दुर्गम स्थल में इतनी निर्माण सामग्री पहुंचना आसान नही था।
सब जल मार्ग से आया, बड़ी बड़ी नाव लगी होंगी जिसके लिए अकूत धन चाहिये।
किसके सहयोग से यह सब हुआ उसकी जांच सरकार करवा रही है।
सब मजारे तोड़ी जा रही हैं।

बेट द्वारिका में आने वाला कोई भी मुसलमान वहाँ का स्थानीय नही है सब बाहर के हैं।
फिर भी उन्होंने धीरे धीरे कुछ ही वर्षों में वहां के हिन्दुओ से सब कुछ छीन लिया और भारत के गुजरात जैसे एक राज्य का टापू सीरिया बन गया।

 

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