ऐसी खबरें आ रहीं हैं कि निर्माताओं की योजना आदिपुरुष की रिलीज योगीजी के करकमलों से अयोध्या में करवाने की योजना थी, लेकिन फ़िल्म के अंश देखने के बाद योगीजी द्वारा इनकार कर दिया गया। मैं नहीं जानता कि इस खबर में कितनी सच्चाई है लेकिन मैं उनकी स्पष्टवादिता का स्वयं गवाह अवश्य हूँ।
मैंने जब अपनी पुस्तक ‘अनसंग हीरोज: #इंदु_से_सिंधु_तक उन्हें उनके निजनिवास पर भेंट की थी तो पुस्तक के काफी अंश पढ़ने के बाद जब मैंने उनसे पुस्तक को अपना आशीर्वाद प्रदान करने का आग्रह किया तो उन्होंने पुस्तक को बाँयी ओर के अपने निजी थैले में सरकाते हुये स्पष्ट कह दिया–
“बहुत अच्छा लिखा है, मेहनत दिख रही है परंतु पूरा पढ़कर ही कुछ कह सकूंगा।”
तत्पश्चात कुछ दिन बाद उनके सचिव के माध्यम से उनका प्रशंसापत्र प्राप्त हुआ।
इस घटना के आलोक में कह सकता हूँ कि अगर योगी जी को कोई चीज पसंद नहीं आती है तो वह औपचारिकता में भी प्रशंसा नहीं करते।
अतः उनके द्वारा आदिपुरुष के निर्माताओं को इनकार पर कम से कम मुझे कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि अगर उन्हें मेरी पुस्तक में एक शब्द भी आपत्तिजनक लगा होता तो उन्होंने अपनी साफगोई के चलते मुझ नाचीज़ को तो एकदम साफ मना कर दिया होता।