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बेरोजगार युवा और सरकारी नौकरी

Aashish Kumar Anshu

by Ashish Kumar Anshu
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देश में लाखों छात्र हैं जिन्होंने सरकारी नौकरी को कॅरियर बनाने की आस में जीवन के 20—30 साल लगा दिए और सरकारी नौकरी नहीं मिली तो कोई भी नौकरी करते हुए जीवन यापन में लग गए। ऐसे लोगों की संख्या सरकारी नौकरी पा लेने वालों से कई गुणा अधिक है। ये लोग असफल होने के बाद जिस भी पेशे में गए, ​अधिकांश उस पेशे पर बोझ बने।

निश्चित तौर पर कुछ अच्छे लोग भी हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी ना​ मिलने के बाद जिस भी पेशे में कदम रखा, उसका सम्मान और गौरव बढ़ाया लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है।
पत्रकारिता, शिक्षा और वकालत ने सबसे अधिक संख्या में असफल छात्रों को आसरा दिया। सम्मानित माने जाने वाले इन तीनों पेशों को सम्मान बीते दो दशक में बहुत कम हुआ है।
सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा ना लेकर अलग अलग क्षेत्रों में बेहतर काम कर रहे लोगों को चुना जाए। उन्हें प्रशिक्षण देकर काम पर लगाया जाए। क्योंकि ऐसे लोग समाज के बीच अपने काम से खुद को साबित कर रहे हैं। प्रशिक्षण के बाद वे जिस क्षेत्र में जाएंगे, माना जा सकता है कि उनका वहां का प्रदर्शन भी मानकों पर खरा उतरेगा।
जहां तक आरक्षण की बात है, आरक्षण के लिए तय जातियों में उन्हें मिलना चाहिए जो ना सिर्फ सामाजिक रूप से भेदभाव के शिकार हुए बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है।
यदि सही परिवारों को आरक्षण मिलेगा, तो ही आरक्षण का लाभ समाज में दिखेगा। आरक्षित क्रिमी लेयर को आरक्षण से बाहर करके उसके सही हकदार तक आरक्षण पहुंचाना जाना चाहिए-

 

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