Home विषयऐतिहासिक मैसूर : टीपू एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडेयार एक्सप्रेस

मैसूर : टीपू एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडेयार एक्सप्रेस

by ज़ोया मंसूरी
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टीपू एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडेयार एक्सप्रेस कर दिया गया है। वोडेयार राजवंश के लोग खुद को भगवान कृष्ण के वंशज मानते थे और उनका दावा था कि वो द्वारिका से आए थे। जिसने विजय नगर साम्राज्य के अधीन लम्बे समय तक मैसूर पर शासन किया था।
विजयनगर साम्राज्य की समाप्ति के बाद वोडेयार हिन्दू राजाओं ने सीमा विस्तार किया। इस दक्षिण भारतीय हिन्दू राजवंश ने ही मैसूर दशहरा की नींव रखी थी। वोडेयार राजाओं के समय मे मैसूर में स्ट्रीट लाइट्स का जाल बिछा था और मैसूर एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में ब्रिटिश इंडिया को टक्कर देता था।
वोडेयार राजाओं के समय साल 1612 में मैसूर एक बड़े हिंदू साम्राज्य के रूप में उभरा। चिक्का कृष्णराज वोडेयार के समय मे तो इस हिन्दू साम्राज्य ने अपना स्वर्णिम युग देखा। फिर राजा कृष्णराज से एक चूक हुई, महान सम्राट टीपू सुल्तान के अब्बू हैदर अली को अपनी सेना में एक सैनिक के रूप में भर्ती किया।
बाद में उसकी बहादुरी से खुश होकर उसे कमांडर इन चीफ भी बना दिया और राज्य की कई अहम जिम्मेदारियां उसे सौंप दी। इसी हैदर अली ने बाद में वोडेयार राजवंश से गद्दारी कर के मैसूर की सत्ता हथिया ली और सुल्तान बन बैठा। हमें इसी हैदर अली के महान बेटे टीपू सुल्तान के बारे में पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन इस हिन्दू शाही राजवंश के बारे में शायद ही कोई उत्तर भारतीय जानता हो।
वोडेयार हिन्दू राजवंश के बारे में सम्भवतः इसलिए नहीं पढ़ाया गया क्योंकि महान इस्लामिक शहंशाहों और मुगल सम्राटों के चेहरों से नकाब उतरने का डर था और साथ ही विदेशी इस्लामी आक्रांताओं और मुगलों की फ़र्ज़ी महानता की कहानियां गढ़ने वाले हिन्दू घृणा में सने वामपंथी लेखकों के चेहरे से भी।
टीपू एक्सप्रेस का नाम बदलकर वोडेयार एक्सप्रेस करना हैदर अली की छाती पर पैर रखकर मैसूर की सत्ता वापस हासिल करने जैसा ही एहसास है। भारत की छाती और वोडेयार राजा की पीठ में छूरा मारने वाले कलंक को धुलने की शुरुआत हो चुकी है, देर से ही सही। महाराजा मैसूर की जय हो।

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