रज़िया सुल्ताना का नाम हमारे इतिहास में एक गज़ब की नारी के रूप में चित्रित किया गया है। रज़िया ने साढ़े तीन साल दिल्ली की गद्दी पर राज किया था – राज क्या था – कुल मिलाकर हर समय जूझती रही थी। शुरू से शुरू करते है।
गोरी का गुलाम / नर प्रेमी क़ुतुबुद्दीन ऐबक। ऐबक का गुलाम / नर प्रेमी इल्तुतमिश । इल्तुतमिश का गुलाम / नर प्रेमी बलबन । पैटर्न बड़ा साफ़ है। मालिक इन गुलामो को मनचाहे कामो के लिए खरीदते थे – नर भोग से लेके गुंडागर्दी से मंदिरो की तोड़फोड़ से लेके नगरों को लूटना आदि आदि। इन गुलामो को इतना महिमा मंडित किया गया है जैसे ये गुलाम साक्षात् जन्नत से उतरे हो। रज़िया इन गुलामो की शृंखला की वो कड़ी है जो केवल स्त्री होने के कारण अलग प्रतीत होती है लेकिन रज़िया इन सब से कम कतई ना थी।
रज़िया इल्तुतमिश के हरम का वो प्रोडक्ट थी जिसे किसने सींचा था – वो खुद इल्तुतमिश को ज्ञात ना होगा। इल्तुतमिश के बाद उसका दासी से हुआ बेटा रूकुद्दीन गद्दी पर बैठा। इसी समय कई सूबेदारों ने विद्रोह किया और रूकुद्दीन इनको कुचलने दिल्ली से निकला । इसी दौरान कुछ अमीरो ने रज़िया को गद्दी पर बिठा दिया – कीमत क्या वसूली – वो लिखने की जरुरत नहीं। गद्दी मिलते ही रज़िया ने सबसे पहले अपने भाई इस सुल्तान को निपटाया। रज़िया की घुड़साल का इंचार्ज था आबनूसी गुलाम याकूत । रज़िया घुड़सवारी का आनंद लेने याकूत के साथ अक्सर जाया करती थी – यही बात कई अमीर और दरबारियों को नागवार गुजरती – पेड़ उन्होंने लगाया, मजे कोई और लूटे।
रज़िया की कहानी में अल्तुनिया का किरदार अहम् है -अल्तुनिया की निगाह दिल्ली की गद्दी पर भी थी और गद्दी वाली पर भी। – ऐसा सूबेदार जिसने रज़िया को युद्ध में हराया और याकूत को ख़त्म कर डाला । रज़िया को अपनी कैद में ले लिया अथवा निकाह कर लिया और इस का फायदा उठा रज़िया का भाई बहरम सुल्तान बन बैठा। रज़िया और अल्तुनिया ने बहरम से लड़ाई लड़ी लेकिन इस दौरान रज़िया के वफादार दरबारियों ने धोखा दे दिया। कैथल में रज़िया और अल्तुनिया दर दर भटक रहे थे जब इन दोनों को मार दिया गया । तुर्कमान गेट के पास रज़िया और उसकी बहन शज़िआ की कब्रे है – इब्न बतूता के समय ये बड़ी दरगाह भी बन गयी थी।
वाराणसी में ऐबक ने कशी विश्वनाथ मंदिर का विध्वंस करवाया था – इस अवशेष से रज़िया ने अपने नाम की वहां मस्जिद बनवायी । मतलब तीन साल के राज में रज़िया तमाम मुसीबतो से लड़ रही थी लेकिन ये नेक काम करना ना भूली।
इन पर बॉलीवुड वाले इतने मर मिटे कि याकूत और रज़िया की मुहब्बत पर फिल्म बना मारी ।