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टीपू को सुल्तान कहना सबसे बड़ा मजाक

Mann ji

by Mann Jee
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टीपू को सुल्तान कहना सबसे बड़ा मजाक है – कारण बड़ा सिंपल सा है। टीपू पैदा हुआ 1751 में और उसके अब्बा हैदर अली ने मैसूर का राज्य हड़पा 1761 में। तो जब टीपू पैदा हुआ था तो हैदर मैसूर के वोडेयार राजा के हिया एक मामूली सिपहसालार था। पैदा होने पर नाम रखा टीपू सुल्तान। हमाये गांव में भी एक दिहाड़ी के मजदूर हैंगे – मिया अकबर। अपने बड़े लड़के का नाम सिपटट्रर रखा है और दुसरे का दरोगा । तो इसी प्रकार हैदर अली ने भी अपनी दूसरी बेगम से पैदा लड़के का नाम टीपू सुल्तान रखा।

टीपू का अब्बा हैदर अली किस प्रकार मैसूर का सुल्तान / नवाब बना – ये दिलचस्प है। हैदर का अब्बा मतलब टीपू का दादा फ़तेह मुहमद कर्नाटक के नवाब की फ़ौज में राकेट वाला सिपाही था – ये वाला राकेट केवल रौशनी से सिग्नल भेजने के काम आता था। तो टीपू के पुश्तैनी धंधे में से था ये रौशनी वाला राकेट। गौर तलब है – युद्ध में रॉकेट का प्रयोग चीन में चौदहवी शताब्दी से चल रहा था। हैदर अली का बड़ा भाई भी किराये का सिपाही था और हैदर अली एक पैदल सिपाही था अपनी भाई के अंडर। हैदर अली अपने अब्बा की तीसरी बेगम की पांचवी औलाद था।

जब हैदराबाद वाले निज़ाम की गद्दी की लड़ाई हुई मामा भांजा में तो हैदर अली और उसका भाई इस लड़ाई में सम्मलित थे। मौका मिलते ही हैदर ने लूटे हुए ख़ज़ाने में सेंध मारी और बड़ा हिस्सा लेके रफू चक्कर हो लिया। ये था टीपू का दूसरा पुश्तैनी धंधा – लूट मार। हैदर अली ने मैसूर के वोडेयार राजा के मंत्रियो की बीच की लड़ाई का फायदा उठाया और धीरे धीरे इस लूट मार की दौलत से किराये के सिपाही इक्कठे कर मैसूर की गद्दी हथिया ली।

तो जनाब – टीपू ना सुल्तान थे – ना राकेट के आविष्कारक। हैदर और टीपू ने लाख चाहा – हैदराबाद के निज़ाम के खानदान से एक ख़वातीन उनके खानदान में ब्याह जाए लेकिन निज़ाम ने लहू की शुद्धता देखते हुए साफ़ इंकार कर दिया। ये भी एक इतिहास का मजाक है जिसने बहादुर शाह ज़फर और टीपू सुल्तान जैसो को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिलवा दिया।

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