Home अमित सिंघल घोर मोदी सरकार विरोधी एवं एजेंडा-प्रेरित वेबसाइट

घोर मोदी सरकार विरोधी एवं एजेंडा-प्रेरित वेबसाइट

by अमित सिंघल
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वायर वेबसाइट, जो घोर मोदी सरकार विरोधी एवं एजेंडा-प्रेरित वेबसाइट है, ने एक लेख पोस्ट किया कि अगर भाजपा आईटी सेल के नेता अमित मालवीय अगर इंस्टग्राम की किसी पोस्ट को रिपोर्ट करते है तो मेटा कंपनी (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, ओक्युलस इत्यादि प्रोडक्ट की स्वामी) उस पोस्ट को बिना किसी जांच के हटा देगी।

अपनी पोस्ट के समर्थन में वायर ने मेटा कंपनी के एग्जीक्यूटिव की तथाकथित ईमेल की कॉपी भी चिपका दी। इन ईमेल में इंस्टग्राम ऑफिस की वेबसाइट “http://instagram.workplace.com” का भी उल्लेख है।

समस्या यह हो गयी कि मेटा कंपनी ने इन सभी ईमेल को फर्जी कहा है। लिखा कि ऐसी कोई ईमेल ID (@fb.com) कंपनी यूज नहीं करती (पहले कंपनी की ईमेल ID में @fb.com लिखा होता था; अब वे @meta.com का प्रयोग करते है)। ना ही “http://instagram.workplace.com” वेबसाइट का कोई अस्तित्व है। साथ ही लिखा कि वे आशा करते हैं वायर स्वयं इस छल की शिकार हुई है, ना कि इस छल की अपराधी है।

कई विदेशी एक्टिविस्टों, जो मोदी सरकार के विरोधी है, ने ट्विटर पर स्वीकार किया कि वायर किसी फ्रॉड का शिकार हो गयी है। कुछ ने निधि राजदान के हारवर्ड में प्रोफेसर के फर्जी ऑफर का भी रेफेरेंस दिया और आशंका व्यक्त कि निधि एवं वायर को मोदी सरकार ने किसी मकड़जाल में फंसा लिया। यह एक्टिविस्ट ट्विटर पर रो रहे है कि अब वायर को सीरियसली नहीं लिया जाएगा तथा किसी भी आलोचना को मोदी सरकार फेक न्यूज़ बोलकर निरस्त कर देगी।

आमजन कमेंट में आनंद ले रहे है। लिख रहे है कि निधि की मूर्खता के लिए बीजेपी कैसे जिम्मेवार हो गयी? जिस अमित मालवीय को भाजपा में कोई सीरियसली नहीं लेता, उसे मेटा कंपनी इतना भाव कैसे दे देगी? या फिर, जिस इंस्टाग्राम अकाउंट का केवल एक फॉलोवर है, उसे मालवीय क्यों रिपोर्ट करेगा।

यद्यपि मैं लिखना नहीं चाहता था, लेकिन एक्टिविस्ट स्वयं बोल रहे है कि वायर किसी फ्रॉड का शिकार हो गयी है। अतः वायर का केस शतरंज का गेम चेसबोर्ड के बाहर खेलने का परफेक्ट उदाहरण है, जिसका उल्लेख मैंने पिछली पोस्ट में किया था।

एक पल के लिए सोचिये वायर या अन्य कोई वेबसाइट अपने गेम को चेसबोर्ड के बाहर (फेक न्यूज़ फैलाना या प्रोपागेंडा करना) खेल रहा था। अगर विरोध में कोई कार्यवाई की जाए तो उसे चेस गेम (संविधान) के अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बोलकर अपना एजेंडा चालू रखना था और भारत को बदनाम करना था। अर्थात गेम बोर्ड के बाहर खेलना, लेकिन पकड़े जाने पर गेम के नियमो की दुहाई देना।

लेकिन अगर वायर को खंडन भेजने की जगह उसे स्वयं ऐसे किसी फेक न्यूज़ में उलझा दे, तो उसकी तथा वायर समर्थको की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हो जायेगी। मैंने लिखा था कि हमारे नेतृत्व को भी शतरंज का गेम, चेसबोर्ड के 64 वर्गों बाहर ले जाना होगा। नेतृत्व वही कर भी रहा है।

कुछ गेम को शतरंज के नियमानुसार नहीं खेला जा सकता, अगर अर्बन नक्सल अपने गेम को 64 वर्गों के बाहर ले जा रहे है। उदाहरण के लिए, बंगाल में 356 लगाना शतरंज (संविधान) के नियमानुसार ही होगा जिसके लिए देशतोड़क शक्तियां तैयार बैठी है। या फिर फर्जी किसान आंदोलन को अर्धसैनिक बलों द्वारा समाप्त करवा देना।

ऐसे कुछ अन्य उदाहरण भी है जो आलरेडी घटित हो चुके है, जिनका प्रभाव सामने आ रहा है और जिस पर समय आने पर लिखने का प्रयास करुँगा।

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