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अकबर के नवरत्न

Mann Jee

by Mann Jee
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अकबर के नवरत्न के बारे में इतिहासकार गैंग ने इतना हऊवा बनाया है जैसे ये नौ लोग दुनिया में सबसे कमाल के लोग थे। थोड़ा परदा इन नवरत्नों से उठाते है। इन नौ लोगो में थे अबुल फ़ज़ल- अकबरनामा , आईनेअकबरी का लेखक और इसका बड़ा भाई शायर फ़ैज़ी। जी हाँ- फ़ज़लू और फ़ैज़ी दोनों भाई थे और इनके अब्बा हुज़ूर शेख मुबारक अकबर के भगोड़े अभियुक्त। अब्बा फ़क़ीर थे और कई अवैध औलादों में दो ये भाई प्रमुख थे।

चरणचट्टू दरबारियों में अग्रिम फ़ज़लू गद्य में और फ़ैज़ी सस्ती तुकबंदी छाप शेरोंशायरी पद्य में उस्ताद थे। अलबत्ता अकबर के मुँहलगे चापलूस भी थे। अबुल फ़ज़ल उर्फ़ फ़ज़लू मियाँ अव्वल दर्जे के औरतबाज़ , चापलूस और पेटू आदमी थे- इतने भुक्खड़ कि गुजरात के महमूद बेगड़ा को खाने में मात दे दें। जहांगीर और मुल्ला बदायूनी ने अपनी अपनी किताबों में फ़ज़लू की चापलूसी की कई जगह भर्त्सना की है। जहांगीर को फ़ज़लू से इतनी चिढ़ थी कि राजा वीर सिंह बुंदेला द्वारा उसका टेंटुआ मसकवा दिया । फ़ज़लू एक नंबर का क्रूर आदमी था जिसने अकबर के कई हेंचमैन वाले जॉब भी पूर्ण किए थे।

फ़ैज़ी शायर आदमी था जिसने अकबर की शान में कलाम – दीवान आदि लिखे थे। अकबर के दूसरे बेटो का वो उस्ताद भी था। स्वाभाविक सी बात है जो आका की शान में शेर कहेगा वो नवरत्न में शामिल ज़रूर होगा। ये तो मध्यक़ालीन परंपरा रही थी- अमीर ख़ुसरो से लेके फ़ज़लू तक।
चुनांचे जिस तरह के फ़ज़लू मियाँ थे- पेटू- खाने के शौक़ीन, फ़र्ज़ी लेखक और अकबर के सबसे बड़े चमचे- लगता है पूप जी के रूप में फ़ज़लू मियाँ ने पुनः जन्म लिया है।
अकबर के नौ रत्न वाला आईडिया नया नहीं है- ये प्राचीन भारत की कहानियों से चुराया गया एक कॉन्सेप्ट है। विक्रमादित्य के नौ रत्न जिन में कालिदास और वेताल भट्ट प्रमुख थे, राजा कृष्णदेव राय के आठ दरबारी जिन में तेनालीराम प्रमुख थे, अशोक के गुप्त दरबारियों आदि से चुराया गया है अकबर का नवरत्न का आईडिया। काफ़ी कुछ है जिस से साबित हो जाएगा अकबर को महान बनने की चुल्ल थी ही- लेकिन उस से ज़्यादा चुल्ल अपने इतिहासकार गैंग को थी।
दो कवर पहले कर लिए- फ़ैज़ी और फ़ज़ल। अब इन नौ में चार हिंदू थे- वीरवर उर्फ़ बीरबल, राजा टोडरमल , राजा मान सिंह और तानसेन उर्फ़ रामतनु। बीरबल के बारे में तीन बाते अबुल फ़ज़ल और बदायूनी ने लिखी है। पहली- अकबर ने बीरबल को नगरकोट का राजा बनाने के लिए वहाँ हमला करवाया और ज्वालामुखी मंदिर वाला क़िस्सा हुआ। दूसरा- बीरबल और शैतानपुरा की तवायफ़ का चक्कर। तीसरा- बदायूनी के हिसाब से अकबर वीरवर की चापलूसी से बहुत खुश रहता था। बाक़ी सब कहानी क़िस्से हवा हवाई है- तेनालीराम से चुराई हुई कहानी! वीरवर की मृत्यु का वृतांत बदायूनी ने काफ़िराना अन्दाज़ में लिखा है।
राजा टोडरमल को वित्तीय रिफार्म का जनक माना गया है- रेवन्यू और लैंड रिफार्म का सारा श्रेय इन्हें मिलता है। लेकिन ये भी विचारणीय बात है- एक हिंदू राजा ने कर वसूलने का सारा सिस्टम फ़ारसी में बनाया? लोकल भाषा या प्राचीन सिस्टम को हटा कर? कर इतनी कड़ाई से वसूला जाता था कि प्रजा अपने बच्चे आदि बेचने के लिए आज़ाद थी। ये बाते बदायूनी ने साफ़गोई से लिखी है। कदाचित राजा टोडरमल को ओवररेट किया गया है।
राजा मान सिंह अकबर के सेनापति थे और हल्दी घाटी युद्ध में महाराणा से इन्होंने मोर्चा लिया था। इन्होंने अनेक मंदिर आदि बनवाये और इनके बारे में भी मुल्ला बदायूनी और फ़ज़ल ने अच्छे वाक्यों का प्रयोग नहीं किया है। अकबर ने एक बार अफ़ीम के नशे में आकर राजा को मारने की कोशिश भी की थी। कुलमिलाकर राजा मानसिंह का दोहरा चरित्र इतिहास के पन्नो में दर्ज है।
तानसेन के बारे में लिखना बेमानी है क्यूँकि सर्वविदित है रीवा के राजदरबारी तानसेन को अकबर ने किडनैप करवाया था। ये कहना कि अकबर को संगीत को बड़ी पहचान थी , बहुत हास्यास्पद बात है। जो बादशाह अफ़ीमची और औरतबाज़ हो वो कैसा संगीत सुनेगा- ये कॉमन सेंस है। तानसेन की कब्र आज भी है! एक मज़ेदार बात- जहाँदर शाह की डांसिंग गर्ल इम्तियाज़ महल उर्फ़ लाल कुँवर का बाप खसूटयत् ख़ान का क्लेम था कि वो तानसेन का वंशज है।
इस मामलों में इतिहासकार गैंग बहुत कंफ्यूज हो जाता है किस किस को इस नौ की लिस्ट में शामिल करे। एक थे अबुल हसन उर्फ़ मुल्ला दो प्याज़ा। हालाँकि ये किरदार हवा हवाई है- इसकी कोई आधिकारिक डॉक्युमेंटेड रिकॉर्ड नहीं लेकिन कहते है ये मुर्ग़ दो प्याज़ा नामक डिश बनाता था जो अकबर को पसंद थी। सीक्रेट था दो प्याज़ या मुर्ग़ से दूने वज़न की प्याज़ का प्रयोग।
एक और करैक्टर है इस लिस्ट में- हकीम हुमाम – ये हकीम भी था और मीर वाकवाल् भी- हेड ख़ानसामा। इसका काम था ऐसा ख़ाना बनाना जो अकबर की सेहत के लिए अच्छा हो और टेस्टी भी। मतलब इस हकीम का काम था ऐसी डिश बनाना जिसे खा कर अफ़ीमची अकबर के पौक़ाडे ना छूट जाये। हालाँकि अकबर की मृत्यु भी पौकाडे छूटने से ही हुई थी।
अगला करैक्टर था- फ़क़ीर अज़ियोदिन- ये एक अनपढ़ आलिम था जिसका काम अकबर को दीनी सलाह देना था। चूँकि ये और अकबर दोनों काला अक्षर भैंस बराबर थे- दोनों में खूब जमती थी। इस लिस्ट में कई इतिहासकार लोग मिर्ज़ा अज़ीज़ कोका को भी रखते है- ये अकबर का दूध भाई था । कोका की एक लड़की अकबर के बेटे मुराद की बेगम थी दूसरी बेटी अकबर के पोते ख़ुसरू की बेगम ।
इस नवरत्न की लिस्ट में रहीम दोहे वाले भी है- जो बैरम ख़ान का बेटा थे। चूँकि रहीम की महतारी सलीमा बेगम अकबर की बहन भी थी और बेगम भी- तो नियम अनुसार रहीम अकबर का सौतेला बेटे और भांजे भी थे।
इस नवरत्न का अकबरी दस्तावेज के अनुसार कोई औचित्य नहीं था- ये लिस्ट हमारे इतिहासकार गैंग ने गढ़ दी। ग्यारह लोग तो यहाँ बता दिये- ये लोग आज तक यह नहीं कन्फर्म कर पाये कौन नौ आधिकारिक थे। वो तो शुक्र कीजिए अपनी छमिया अनारकली को जहांगीर के चक्कर में अकबर ने दीवार में चुनवा दिया ना तो अनारकली को भी इस लिस्ट में डाल दिया जाता।
अब इस लिस्ट पर नए नज़रिए से दृष्टि डालते है- एक गवैया, दो ख़ानसामे, दो शायर , एक मज़हबी गुरु, एक सेनापति, एक ख़ज़ांची, एक विदुषक, एक पेटू लेखक और एक समधी। ये हुई नवरत्न की पूर्ण लिस्ट। मतलब अकबर इत्ते बड़े बादशाह और अकबर के ये नौ नवरत्न? लाहोल विला कूबत!

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