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स्वामी विवेकानंद और गीता सार

Nitin Tripathi

by Nitin Tripathi
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स्वामी विवेकानंद के पास एक व्यक्ति गीता सार समझने गया. विवेकानंद जी ने उससे कहा गीता छोड़ो तुम पहले छः महीने फ़ुटबाल खेलो जाकर. उस व्यक्ति के दिमाग़ में संशय जगा कि कैसे महात्मा हैं जो ऐसा बोल रहे हैं. तब स्वामी विवेकानंद ने उसे समझाया कि गीता वीरों का ग्रंथ है. पहले वीरता, पुरुषार्थ और सेवा भाव लाओ, शरीर बलिष्ठ सुडौल बनाओ, तभी तुम गीता को ठीक से आत्म सात कर पाओगे.
यह एक मिलियन डालर अड्वाइज़ है सबके लिए. सर्व प्रथम आपका शरीर सक्षम और व्याधि मुक्ति होना चाहिए बाक़ी सब बातें सेकंडेरी है. कहा गया है पहला सुख निरोगी काया. और निरोगी काया कैसे रहेगी – दो चीजों से १. रोज़ाना शारीरिक व्यायाम – कुछ खेलिए / दौड़िए / साइकिल चलाइए. दस हज़ार कदम रोज़ चलिए २. अच्छे संतुलित भोजन से जिसमें रोज़ फल, हरी सब्ज़ियाँ, नट्स, सीड्ज़, दाल, प्रोटीन आदि शामिल रहे. आप कोई भी हों, किसी भी लेवल पर हों, यदि सुडौल काया नहीं है तो सब बेकार है.
आप बहुत आध्यात्मिक हैं लेकिन पेट की व्याधि से पीड़ित हैं, सारा अध्यात्म सबेरे से शाम तक टायलेट के चक्कर में निकल जाएगा. धार्मिक हैं, तीर्थ यात्रा करनी है, तोंद निकली है चलने में हाँफ जाते हैं, कुछ न कर पाएँगे. पैसे हैं, इच्छा है गोवा में बीच साइड बैठ बियर पी जाए, दिल की बीमारी है डॉक्टर ने पचास दवाएँ रेकमेंड कर रखी हैं, सारा पैसा तिजोरी में सड़ जाएगा.
नया वर्ष आने में ढाई महीने हैं. अभी से टार्गेट करिए, वेट घटाना है, फ़िट रहना है, हेल्थी खाना है और बेवक़ूफ़ियों वाले वहत्सप ज्ञान में नहीं पड़ना है. फ़िर जब नए वर्ष में आपका प्रवेश एक बेहतर शरीर और एक नए उत्साह के साथ होगा.

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