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श्रद्धा हत्याकाण्ड का पूरा विवरण भाग 2

by Sharad Kumar
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20 मई को आफ़ताब पूरे दिन कही नहीं गया बस मार्किट से हाइड्रो नूक्लिरिक एसिड और फिनायल की कुछ बॉटल्स ले कर आया शाम होते ही उसने बाकि बची हुयी बॉडी के और टुकड़े किये और सबको एक एक कर के ब्लैक पॉलीथिन में भर कर फ्रीज़ में रख दिया और कुछ समय के बाद सभी टुकड़ो को एक तापमान के बाद अदल बदल कर रखता रहा २१ मई को उसने रात में करीब 2 बजे फ्रीज़ से कुछ पॉलीथिन निकली और दिल्ली के क़ुतुबमीनार के पास वाले जंगल में फेक आया वापस आते हुए उसने इस बात का भी इंट्रोगेशन किया की कही कोई पुलिस वाला या कोई और उसको देख तो नहीं पाया पर उसने पाया की उसे जाते या आते किसी ने नहीं देखा जिससे उसको कुछ हौसला मिला
अगले दिन फिर वो कही नहीं गया और इस तरह हर रात को वो कुछ पॉलिथीन बैग निकाल कर उनको जंगल में फेक आता

डेड बॉडी जब घर पर थी तो वो फ्रीज़ खोलकर रोज श्रद्धा के सर को देखा करता था और खुश होता था इसके साथ ही वो बॉडी के घर पर रहने के बाद भी कई बार कई अलग अलग लड़कियों को घर पर लाता रहता था और उनके साथ सेक्स भी करता था

उसने अपनी आखिरी पॉलीथिन ३ जून के करीब फेंकी उसके बाद उसने घर वापस आकर अपने घर को और उस फ्रीज़ को बाथरूम को कई बार वाश किया और हाइड्रो नूक्लिरिक एसिड से भी कई दिन तक उसे साफ़ किया ताकि अगर कल को वो पकड़ा भी जाए तो पुलिस या फोरेंसिक की टीम को कोई भी सबूत न मिले साथ ही वो रोज सोशल न्यूज़ पर यह भी देख रहा था की कही से जंगल में कोई बॉडी पार्ट्स के मिलने की कोई न्यूज़ तो नहीं है पर उसे इस तरह की कोई न्यूज़ नहीं मिलती इसके साथ ही आफ़ताब को यह बात पता थी की श्रद्धा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव थी इसलिए उसने सोचा अगर ज्यादा दिन हो जायेंगे जब श्रद्धा सोशल मीडिया पर एक्टिव न हुए तो उसके दोस्तों को शक हो जायेगा इसलिए उसने श्रद्धा के फ़ोन से श्रद्धा बन कर उसके सोशल मीडिया अकाउंट्स को भी चलाने लगा जिससे उसके दोस्तों को लगे सब ठीक है अगर किसी का कॉल आता तो वो उसे रिसीव नहीं करता लेकिन व्हाट्सप्प मैसेज से रिप्लाई कर देता और कोई बहाना बना देता की वो बिजी है बॉडी पूरी तरह से घर से निकाल दी तो उसके बाद उसने फिर से बम्बल ऍप से दूसरी दिल्ली की लड़की से डेट पर लग गया

धीरे धीरे उस बात को बीते कई महीने हो गए पर एक दिन श्रद्धा के एक मित्र ने उसके भाई को फ़ोन किया और बोला की क्या श्रद्धा ने अपना फ़ोन नंबर बदल दिया है मैं करीब ढाई महीने से उसके नंबर पर फ़ोन कर रहा हूँ पर वो स्विच ऑफ आ रहा है अगर कोई दूसरा नंबर हो तो बताओ मुझे इस पर उसके भाई ने बोला की नहीं नंबर तो वही है हमें लगा की आप लोगो से बात हो रही होगी फिर श्रद्धा के भाई ने ये बात अपने पिता को बताई तो उसके पिता ने श्रद्धा के गुमसुदगी की रिपोर्ट मुंबई के थाने में दर्ज कराई उसके घर वालो को लगा की शायद बेटी का अपहरण हो गया है

जब पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला की आफ़ताब और श्रद्धा दोनों दिल्ली चले गए है वो वहाँ की पुलिस ने यह मामला दिल्ली पुलिस को दे दिया उसके कुछ दिन बाद दिल्ली पुलिस ने आफ़ताब के नंबर को डिजिटल सर्विलांस की मदद से पकड़ लिया और आफ़ताब से श्रद्धा के बारे में पूछताछ शुरू की तो उसने पहली बार में बताया की उसका श्रद्धा से झगड़ा हो गया था इसलिए दोनों काफी लम्बे समय से साथ में नहीं रहे रहे और अब श्रद्धा कहाँ है उसे नहीं पता

पुलिस ने आफ़ताब की कॉल डेटिकल्स निकाली तो पाया की आफ़ताब ने एक भी बार श्रद्धा को कॉल नहीं किया जिससे उनका शक बढ़ गया और पुलिस ने आफ़ताब को रिमांड पर ले लिया और कड़ाई से पूछताछ की तो उसने हर बार नयी कहानी बताता लेकिन कुछ देर बाद उसने ये बोला की उसने श्रद्धा को गला दबाकर मार दिया है और उसकी बॉडी के 36 टुकड़े कर के जंगल में फेक दिया है

आफ़ताब की इस बात से दिल्ली पुलिस सन्न रहे गयी और पहले तो पुलिस को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन फिर पुलिस ने घर से वो फ्रीज़ भी बरामद किया जिसमे आफ़ताब ने श्रद्धा की बॉडी पार्ट्स को रखा था और आफ़ताब को लेकर श्रद्धा के बॉडी पार्ट्स को खोजने के लिए जंगल में गयी है

बिलकुल इसी तरह की हत्या को अंजाम आज से पहले करीब १२ साल पहले वर्ष 2010 में दून की शांत वादियों में 17 अक्तूबर 2010 को घर में ही पत्नी की हत्या करने के बाद राजेश ने स्टोन कटर और आरी से शव के 72 टुकड़े किए थे। इसके बाद उन्हें डीप फ्रीजर में छिपा दिया था। शव को ठिकाने लगाने के लिए वह रोजाना एक टुकड़ा काली थैली में डालकर ले जाता था।

इसके बाद वह मसूरी रोड पर जंगल में उन टुकड़ों को फेंकता था। वह अपने दोनों बच्चों को बताता था कि मां दिल्ली गई हैं और कुछ दिन में आ जाएगी। अनुपमा के भाई सिद्धांत प्रधान के दून आने पर इसका खुलासा हुआ था।

 

 

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