Home विषयसामाजिक किसी की बेटी की शादी ही दूसरे पक्ष के बेटे की भी तो शादी है!

किसी की बेटी की शादी ही दूसरे पक्ष के बेटे की भी तो शादी है!

Anand Kumar

by आनंद कुमार
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श्रेया की माँ आनंद की शादी के पीछे पड़ गई थी। कारण श्रेया की पढ़ाई पूरी हो गई थी। जॉब भी करने लगी थी। ऐसे में आस -पड़ोस के लोग माँ को टोक देते। सुन -सुन कर माँ भी इस बारे में सोचने लगी थी।
श्रेया का  मन अभी एक -दो साल शादी का नही था या, यूँ कहे श्रेया को  शादी से बड़ा डर लगता था। श्रेया टालते रहती। ऐसे में माँ अपनी बी पी का बहाना करने लगती। वहीं हर माँ की तरह , “कही मर गए तो बेटी की शादी भी नही देख पायेंगे आदि -आदि ।” फिर श्रेया को हाँ कहने के बाद असली समस्या शुरू हुई। उसके पिता जी नही है। माँ ने ही दोनो भाई बहन को पाला है। अब अरेंज मैरिज वो भी बिहार में ? लड़के के घर रोज़ दौड़ने की प्रैक्टिस करने वाला कौन था उसके घर ? कौन गाँव -गाँव जाकर इतना लड़का ढूँढता ? जी हजुरी करता ।
ऐसा नही कि उसके रिश्तेदार नही। सब लोग हैं। सभी अच्छे नौकरी पेसा लोग। अब ऐसे में कौन उसके लिए बार -बार छुट्टी लेकर लड़का ढूँढे। मामा जी, चाचा जी ने दो तीन लड़के बतायें पर बात वहीं, लड़का पुणे ,बंगलोर। परिवार किसी गाँव में।
लड़के के परिवार से तो मामा -चाचा मिलने जाने को तैयार थे ।लड़के से कौन इतनी दूर मिलने जाय ? फिर अपने यहाँ का देखा -देखौ कि अलग से। ऐसे में उसका भाई (जो उससे छोटा है )एक लड़का को देखने गया। बहुत बुरा लगा था उसे उस दिन। ख़ैर भाई को लड़का तो अच्छा लगा पर परिवार नही। ज़रा सोचिए सारे साधन थे श्रेया के पास। बस एक पिता का ना होना उसके छोटे से भाई को कितना ज़िम्मेदार बना गया।
**कई बार मैं सोचती थी , “इससे अच्छा तो लव मैरिज कर लेती ।”
खैर श्रेया के परिवार वाले शादी को लेकर इतने भी परेशान नही थे। कारण अभी तो शुरुआत ही की थी लड़कों को देखना। वहीं श्रेया के लिए रिश्तेदारों के बताए रिश्ते भी आ हीं रहे थे ,पर कही कुंडली नही मिलती तो कही माँ को उस रिश्तेदारी में शादी नही करनी । फिर भी उसने माँ और भाई से कहा तुमलोग इतना मत सोचो। वो किसी से भी शादी के लिए तैयार है। किसी से मतलब पेशा से है।
तय हुआ शादी अगले साल करनी है तो अब अगले साल लड़का ढूँढा जाए। अभी से क्या परेशान होना? माँ को समझा कर श्रेया और भाई फिर से मस्त हो गए। माँ भी अगले साल का इंतज़ार करने लगी । इसी बीच भाई के एक दोस्त जो उससे बड़े थे। उसके फ़्लैट पर आए। श्रेया के भाई के हर उम्र के दोस्त है। उन्होंने अपनी बहन की शादी मेटरीमोनियल से तय की थी। उनकी बहन को भी श्रेया के परिवार वाले  जानते थे। शादी तो पटना (घर ) से होनी थी। बस उनकी सगाई दिल्ली में थी ,तो दीदी को कुछ मदद चाहिए थी । इस बीच दीदी से और दोस्ती हो गई। उन्होंने ही भाई को कहा , “श्रेया का भी प्रोफ़ाइल बना दे ।”
प्रोफ़ाइल बन गई…
आह ! क्या दिन थे वो। ऑफ़िस से आने के बाद दोनो भाई -बहन जीवन साथी की साइट खोल कर ख़ूब मज़े करते ।एक इक्सेल सीट बना ली थी। भाई कहता , “चल बहिन ,ग्रूम -ग्रूम खेला जाय।”
रोज़ लड़का देखते, उनकी माँग का मज़ाक़ उड़ाते।
“फ़ेयर, होमली, सुंदर लड़की चाहिए होती चाहे अपना मुँह बानर जैसा हो “
इसी बीच जो अच्छा लगता उसका रिक्वेस्ट भी ऐक्सेप्ट करते । फिर सीट में उनका नाम , शहर का नाम , शिक्षा, जॉब और परिवार वाला खाना भरते ।
खाना पकाने वाली आंटी को चाय बनाने को कह हमलोग इसमें ही लग जातें। जबतक खाना नही बनता, जीवन साथी हमारा मनोरंजन का साधन बन गया था। समझ लीजिए फ़ेस्बुक हो।
फिर दिवाली में जब श्रेया घर गई। माँ को बताया ऐसे लड़का ढूँढ रहें है। उसने सिर पकड़ लिया , “बोली तुम दोनो का दिमाग़ खराब हो गया है।” दोनो फँसोगे एक दिन।
ऐसे शादी -ब्याह कहीं होता है ब्राह्मण में ? क्या बाहर रहते हो न्यूज़ नही सुनते ? ऐसे शादी के लिए मेरी हाँ कभी नही होगी और भी बहुत कुछ …
श्रेया और उसके भाई ने माँ को समझाने के लिए जीवन साथी की साइट खोली। एक लड़का माँ को भी अच्छा लगा पर उसका घर राँची था। माँ को तो ऐसे भी मन नही था ,” बोली इतनी दूर बेटी की शादी नही करेंगे।”
तभी श्रेया के भाई  को जाने क्या सूझा बोला , “रुको सर्च करते हैं , बिहार का कोई लड़का है क्या इस साइट पर ? “ और फिर श्रेया को एक  “शतेश “नाम का लड़का मिला । मिला  भी तो इतना पास की भले वो सात समुन्दर पार था  पर उसका घर , जहाँ श्रेया का परिवार रहता था वहाँ से सिर्फ़ 45 मिनट की दूरी पर। शतेश से भाई की बात हुई । माँ के ना हाँ के बीच भाई शतेश के घर पहुँच गया।
शतेश के घर वाले हैरान , “एक 23/24 साल का लड़का अपनी बहन की शादी की बात करने आया है ।”
शतेश के पापा बोले , “किसी बड़े -बुज़ुर्ग को बुला लाओ.।तुमसे क्या शादी की बात करे ?तुम्हें अनुभव ही कितना है ? “
 श्रेया के रिश्तेदार  ऐसी शादी की बात से डर रहे थे। डर था कुछ गड़बड हुई तो उन्ही पर इल्ज़ाम होगा। सब कुछ ना कुछ बहाना बना रहे थे ,ना आने का। फिर जब श्रेया ने माँ को मना लिया ,सभी लोग तब आए शतेश के घर जाने को।
कुल मिला कर यह समझिए ,” श्रेया की शादी सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके भाई ने की है। माँ के मामा जी तब छपरा में मेजर थे ।उन्होंने ने काफ़ी मदद की।”
शादी की सारी तैयारी श्रेया ने और उसके भाई ने हीं माँ के मामा जी की मदद से की ।
यक़ीन मानिए भगवान की कृपा से श्रेया की  शादी , उसके घर की सबसे अच्छे से अरेंज शादी हुई। शतेश के पापा आज भी उसके भाई से बहुत प्यार करते है। उसकी मिशाल सबको देते रहते है ।
नोट :-कहानी बहुत संक्षेप में लिखी पर ये समझ लीजिए बेटी कि शादी खास कर बिहार में एक गम्भीर समस्या है। किसी के पास साधन की कमी तो कहीं पिता की कमी। आजकल “अगुआ “(शादी कराने वाला ) का लुप्त होना और समस्या पैदा कर देता है। सिर्फ़ पैसा ही नही आपको ख़ुद को भी लगाना होता है बेटी की शादी में ।
बेटी के योग्य या अयोग्य का इससे कोई सम्बंध नही ।योग्य भी हार मान किसी से शादी को राज़ी हो जाती है ।
ऐसे में महाराष्ट्र ,दिल्ली की तरह बिहार में भी शादी योग्य लड़के -लड़की की पत्रिका निकलनी चाहिए। शादी का ख़र्च भी दोनो पक्षों को आपस में बाँट लेना चाहिए।
**याद रखिए किसी की बेटी की शादी ही नही अपके बेटे की भी तो शादी है ।

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