Home विषयजाति धर्म अगर_मुस्लिम_न_होते

अगर आज मुस्लिम न होते, उनका भय न होता तो भारत अब तक ‘भारतीय उपमहाद्वीप’ में बंट गया होता।
पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार का एक हिस्सा ब्राहमणिस्तान बन गया होता जिसमें भूमिहार, राजपूत, कुर्मी कोइरी आदी जातियां अपने अपने लिए स्वायत्त क्षेत्र मांग रही होती।
पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा और पश्चिमी राजस्थान का हिस्सा जाटिस्तान बन गया होता जहां सैनी, राजपूत, ब्राह्मण, गुर्जर आदि जाटों से अपना स्वाधीनता संग्राम लड़ रहे होते।
राजस्थान व मध्यप्रदेश का बुन्देखण्ड बघेलखंड आदि राजपूताना संघ होता जिसमें दलित आदिवासी भील आदि जाट व गुर्जरों को राष्ट्रद्रोही घोषित किया जा रहा होता।
पंजाब को तो खैर खालिस्तान बन ही जाना था।
जम्मू, हिमाचल व उत्तराखंड के क्षत्रियों ने खालिस्तान व ब्राह्मणिस्तान के विरुद्ध राजपूताना से मैत्री संबंध बना कर रखे होते।
कश्मीर तो खैर….
गुजरात में पाटीदार व राजपूतों के और महाराष्ट्र में मराठा व दलितों के अपने अपने ‘स्तान’ होते।
दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश में कम्मा और कापुस्तान, कर्नाटक में लिंगायत साम्राज्य, तमिलनाडु द्रविड़ देशम, केरल में नायरों, अय्यरों का भी अपना अपना स्तान होता।
इसलिये, हे बापू हम तुम्हारे आभारी हैं कि मुस्लिमों को भारत में रोककर आपने भारत को खंड खंड होने से बचा लिया।
शायद आपको अतिशयोक्ति लग रही होगी लेकिन गहराई से विचार कीजिये कि मौर्य हों या गुप्त, प्रतिहार हों या विजयनगर, मराठा गणसंघ हो या वर्तमान गणसंघ, भारत की राजनैतिक एकता सिर्फ डंडे और विदेशियों के शासन की प्रतिक्रिया से ही आई है।
राष्ट्रभाव सिर्फ कुछ व्यक्तियों तक सीमित रहा है जो जीवन भर अपने खून व पसीने से राष्ट्रभाव को जिंदा रखे रहे।
फेसबुक तक पर हमारी एकता मुस्लिमों के भय और उनकी बुराई मात्र पर निर्भर है। लिखिये कोई भी ऐतिहासिक तथ्य और फिर देखिए संबंधित जाति के लोग किस तरह मधुमक्खी की तरह टूटते हैं भले ही कुछ न पता हो।
मुस्लिमों के भय को हटा दीजिये और फिर दिखिये।

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