Home विषयइतिहास अरस्तु का चेला था सिकंदर जिसने दुनिया फतह करने की ठानी

अरस्तु का चेला था सिकंदर जिसने दुनिया फतह करने की ठानी

by Mann Jee
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ग्रीक दार्शनिक सुकरात के चेले थे प्लेटो। प्लेटो के चेले थे एरिस्टोटल – अरस्तु। इन्ही अरस्तु का चेला था सिकंदर जिसने दुनिया फतह करने की ठानी थी। ग्रीक दर्शन में इन तीन महाशय एक ऊँचा स्थान रखते है। आज भी इन तीनो के सिद्धांत पढ़ाये जाते है। गोया – ये तीन नाम आज भी किसी पहचान के मोहताज नहीं और विश्व भर के लोग इन दर्शन शास्त्र के इन तीन दिग्गजों को आदर सम्मान देते है। प्लेटो ने एक बहुत मशहूर किताब लिखी है – रिपब्लिक। इस किताब का अंत एक कहानी है – मिथ ऑफ़ er – इर। क्या आपको इर की कहानी ज्ञात है ? यदि नहीं , तो आगे पढ़िए।

इर एक सिपाही था जो लड़ाई में मारा गया – उसका शरीर अंतिम संस्कार के लिए लाया गया लेकिन तब तक दस दिन बीत चुके थे – उसकी मृत्यु के बाद। लेकिन उसका शरीर गला नहीं था – शरीर ज्यो का त्यों था। दो दिन बाद वो मृत्यु शैया से जीवित हो गया और उसने मृत्यु के बाद का हाल सुनाया। इस किस्से को मिथ ऑफ़ इर कहते है। यद्यपि मिथ ऑफ एर कहा जाता है, शब्द “मिथक” का अर्थ आधुनिक अर्थ के बजाय “शब्द, भाषण, या स्मृति” है।

इर मरने के बाद एक अनोखी जगह जाता है जहा चार छिद्र है – २ आकाश में और २ जमीन में जाते हुए। उस जगह कुछ लोग आत्माओं के पाप और पुण्य का हिसाब कर रहे है। वो लोग पुण्यात्मा को आकाश वालो छिद्रो में भेज रहे है और पापात्मा को नीचे वाले। जब इर की बारी आती है तो उसे कहा जाता है – देखो और नोट करो क्यूंकि तुम्हे ये सब वापस जाकर बताना है। सात दिन बिताने के बाद इर आत्माओं के साथ आगे बढ़ता है जहा एक इंद्रधनुष के पास भाग्य की देवी सब आत्माओ को एक एक टोकन देती है – आत्मा अपने टोकन के हिसाब से अपनी अगला जीवन चुनती है और उसका भाग्य वहां लिख दिया जाता है। इर को कोई टोकन नहीं मिलता – वो केवल एक मूक दर्शक है। आगे बढ़ने पर सब lethe नामक नदी के पास आते है जहा सबको पानी पीना है। इस नदी को भूलने वाली नदी भी कहा जाता है। जो जितना ज्यादा पानी पियेगा वो उतना भूल जाएगा। जो कम पियेगा या नहीं पियेगा वो पिछले जीवन की यादें भूलेगा नहीं । इर ये पानी नहीं पीता। पीने के बाद सब आत्माये गहरी नींद में चली जाती है और फिर उनका पुनर्जन्म होता है। इर इस मोड़ पर अपने शरीर में वापस आ जाता है। ये है कहानी इर की।

अब ये भी जानना जरुरी है – ग्रीक मिथ के अनुसार styx नदी दो लोको के बीच स्थित एक नदी है जिसको पार करके ही उस लोक में जाया जा सकता है। हम भारत में इसे वैतरणी नदी कहते है जिसे गाय की पूँछ पकड़ कर पार किया जाता है। styx नदी को नाव वाले को सोने के सिक्के देकर पार किया जाता है – इसलिए ग्रीक मुर्दे को दो सोने की सिक्के के साथ अंतिम संस्कार किया करते थे।

अंत में – रिपब्लिक किताब के अंत में प्लेटो कहते है – आत्मा ना बनाई जा सकती है , ना ख़त्म की जा सकती है। हर इस जीवन में जो कर्म करते है , जो फैसले लेते है – उसका असर आगामी जीवन पर भी होता है। बाकी बाते गीता के ज्ञान के समतुल्य ही है। इर की कहानी में और भी बहुत कुछ है – spindle ऑफ़ necessity आदि – जिसमे विस्तार से नहीं लिखूंगा लेकिन ये सार है प्लेटो की किताब का – इस किताब में किरदार है सुकरात का , जो ये कहानी कह रहे है।

आपको ये कहानी सुनी सुनाई लगी ? मुझे लगा ये कहानी प्लेटो ने जरूर एक भारतीय से सुनी होगी और फिर ग्रीक मॉडल में ढाल कर फिर लिख मारी होगी !

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