Home मीडिया इस्तीफे के बाद पत्रकार रविश कुमार का पहला इंटरव्यू

इस्तीफे के बाद पत्रकार रविश कुमार का पहला इंटरव्यू

by ओम लवानिया
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रविश कुमार का ताजातरीन इंटरव्यू सुना, मैं जितना समझ पाया हूँ कि वे बिहार की पुरानी कहावत, “एक बिहारी सौ पर भारी” को बदलने की कोशिश में है और खुद की नई कहावत गढ़ रहे है।
“एक रविश पूरे मोदी सरकार के सिस्टम पर भारी”
उनका कहना है कि अडानी एनडीटीवी को नहीं खरीदते, कुछ वक्त मिल जाता तो मैं यानी रविश कुमार ने मोदी सरकार की सारी कुंडली तैयार कर ली थी। बस पोल-खोल का कार्यक्रम फ्लोर पर ले जाना बाकी था। सब डॉक्यूमेंटेशन हो चुका था, लेकिन अफ़सोस मुझे रोकने के लिए चैनल ही खरीद लिया। लेकिन मेरी आवाज को खरीद सके।
रविश कुमार को गलतफहमी कहे या कुछ और, इनके दिमाग में बैठा हुआ है कि 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में मोदी-शाह की जोड़ी को धूल चटाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अगर ये जमीनी स्तर पर उतरकर माहौल न बनाते तो मुश्किल था। अकेला रविश मोदी से टक्कर ले सकता है।
रविश की आत्ममुग्धता कहे ले, या कॉन्फिडेंस देखकर मुझे हिमेश रमेशिया का ‘बेडएस रवि कुमार’ याद आ जाता है। लगता है हिमेश ने रवि कुमार को रविश से इंसपायर होकर पेन किया है। तगड़ी और पंच भरी डायलॉगबाजी…जैसे रविश स्वयं को वन मैन आर्मी लेकर चल रहे है, भारतीय पत्रकालिता में उनके मुकाबले कोई दूजा न है। जो भारत सरकार की चूले हिला दे। उसे रोकने के लिए सरकार को चेनल खरीदना पड़ता है।
तो वही, बेडएस रवि कुमार कहता है ‘तेरे शरीर में इतना खून नहीं होगा, जितना रवि कुमार एक बार में मुत देता है’
‘रवि कुमार लगोंट का पक्का है, बिस्तर पर नींद के अलावा कुछ नहीं लेता’ सभी संवाद “द एक्सपोज” फ़िल्म से है। इसी में एक और पंच है जब निर्माता रवि कुमार से पूछता है हमारी फ़िल्म में काम करोगे, तब रवि कुमार ‘करूँगा न, लेकिन मेरी एक शर्त है मैं विलन से मार नहीं खाऊंगा, राजा का बेटा भले नंगा पैदा होता, लेकिन रहता राजकुमार ही है’
रवि कुमार अब दुगुने खतनाक स्वरूप में लौट रहा है जिसे बेडएस रवि कुमार टाइटल मिला है। 10 बड़े बड़े विलन को धूल चटायेगा….
फिर तो रील से इतर, रियल में रविश कुमार भी ऐसे ही रूप में दिखाई देंगे। मोदी सरकार को जल्द सर्तक हो जाना चाहिए। वरना इमोशनल व स्वयंभू पत्रकाल की स्तुति डायलॉग्स से घायल कर देंगे।

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