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जैसे ही मैंने क्लास में कदम रखा सारी लड़कियां एक साथ चिल्लाईं।
मैंने नजर उठाकर देखा तो कई लडकियां सेंटा क्लोज की रैड थीम पर लाल कपड़े पहने थीं।
“तुम लोगों को शर्म नहीं आती कि एक विधर्मी विदेशी संस्कृति के पीछे पागल हुई पड़ी हो?”
नहीं….नहीं….नहीं….
मैंने ऐसा कुछ भी बिल्कुल नहीं कहा।
मैं मुस्कुराया, उन्हें भी उतने ही प्यार से ‘मैरी क्रिसमस’ कहा और सैल्फी भी उनके साथ ली।
“कितना अच्छा लगता है आप लोगों को देखकर कि आतंकवाद के इस दौर में आप बच्चियां जीसस के बर्थडे को सेलिब्रेट कर रहे हो।”
“लेकिन एक बात बताओ अगर कोई बच्चा अपनी आंटी का बर्थडे सेलिब्रेट करे पर अपनी माँ का बर्थडे याद भी न रखे तो क्या वह अच्छा बेटा है?”
स्टूडेंट्स कुछ अचकचाईं।
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए पूछा मैंने कि क्या उन्होंने कोचिंग में जन्माष्टमी सेलिब्रेट की है?
सभी ने ना में सिर हिला दिया।
फिर आगे उनसे पूछा, “अगले वर्ष जब मैं तुम्हें पढ़ा रहा होऊँगा तब कृष्ण जन्माष्टमी की थीम ड्रेस हम क्या रखें?”
स्टूडेंट्स पहले तो अकबका गईं और एक ने पूछा कि क्या हमें अनुमति मिलेगी?
“अगर तुम अड़ जाओगी तो जरूर मिलेगी बल्कि तुम ही हमें भी अनुमति दिलवा सकती हो।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
लड़कियां उत्साह से भर गईं।
“ब्ल्यू!”
“ब्ल्यू-ग्रीन!”
“यस्स्स! मोरपंख जैसा कलर”- मैंने सहमति दी।
“प्रॉमिस करो कि अगले साल हम सब जन्माष्टमी को हमारे कान्हा का जन्मदिन मना रहे होंगे।”
“प्रॉमिस” सारी बच्चियां उत्साह से चिल्लाईं।
इस तरह क्रिसमस का उत्सव कृष्ण के जन्मदिन की भावना में मनाया गया।
मैं कनखियों से बगल की ओर देखा जहां सांता मुँह लटकाए खड़ा था और कृष्ण अपनी त्रिभंगी मुद्रा में नटखट ढंग से मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे

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