बाबा भूरादेव जी का स्थान शाकुम्भरी माई से करीब एक किलोमीटर पहले ही पड़ जाता है।
शाकुम्भरी माई तक ले जाने वाले बसचालक पहले बाबा भूरादेव जी के स्थान पर ही रोक देते हैं।करीब 10 से 20 मिनट तक वे रुकते हैं यहाँ। आगे जाने के लिए रास्ता नहीं है। क्योंकि आगे नदी है। यही नदी पार करके माई का स्थान है।
लेकिन अभी इस मौसम में, अगर बारिश न हो तो, बस वाले माता के स्थान तक ले जाते हैं। उसी ऊबड़-खाबड़ रास्ते से हुए वे दरबार की ड्योढ़ी तक पहुंचा देते हैं।
बाबा भूरादेव जी की महत्ता इसलिए है क्योंकि वे बड़े तपस्वी थे। उन्होंने कई वर्षों तक माई का तप कर सिद्धि प्राप्त की थी। उन्हें माई से वरदान मिले थे।
दरबार का नियम है कि पहले बाबा भूरादेव जी का दर्शन कर उनसे माई के दर्शन की अनुमति प्राप्त की जाए।