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सोशल नेटवर्किंग साइट्स और बढ़ता मतभेद

Rajeev Misha

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एक महिला से किसी ने उनके वजन को लेकर मजाक कर दिया. महिला नाराज हो गईं और उन्होंने उन्हें बुरी तरह लताड़ कर ब्लॉक व्लॉक कर दिया और स्क्रीनशॉट भी टांग दी.
उन सज्जन का इरादा गलत नहीं रहा होगा, लेकिन उस महिला का स्टैंड भी मुझे गलत नहीं लगा. यह अक्सर देखा है, लोग मजाक करते करते एक लाइन क्रॉस कर जाते हैं. बल्कि उन्हें पता ही नहीं होता कि एक लाइन है भी. अक्सर मजाक करने और मजाक उड़ाने की लाइन बेहद धुंधली हो जाती है.
कौन किससे कितना और क्या मजाक कर सकता है यह उन दोनों के आपसी संबंधों पर निर्भर होता है. आपके अंतरंग मित्रों से किए हुए हँसी मजाक की बात नहीं कर रहा, पर एडल्ट वर्ल्ड में हँसी मजाक की डिफॉल्ट सेटिंग क्या होनी चाहिए इसपर बात करना चाहता हूं.
मेरी दृष्टि में व्यंग्य या sarcasm ह्यूमर का अच्छा रूप नहीं है, हालांकि अक्सर sarcastic होने की प्रवृति मेरी भी है. पर वह ह्यूमर के बजाय अक्सर खीज का एक्सप्रेशन होता है. पर अक्सर मैंने हँसी मजाक करने के स्थान पर किसी को नीचा दिखाने, उसका मजाक उड़ाने की प्रवृति भारत में खूब देखी है. और उससे भी बुरी बात यह है कि ऐसा करने वालों का यह करने का कोई इरादा नहीं होता. यह एक खास तरह के भारतीय ह्यूमर की डिफॉल्ट सेटिंग है, जो करने वाले को बुरी नहीं लगती पर सुनने वाले को हमेशा थोड़ी या ज्यादा बुरी लगती ही है. कोई प्रतिक्रिया देता है, कोई नहीं देता.
मेरी दृष्टि में हास्य विनोद की कुछ स्वीकृत सीमाएं होनी चाहिए. किसी के फिजिकल अपीयरेंस पर किया गया मजाक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए. किसी के कल्चरल बैकग्राउंड पर किया गया मजाक बहुत अंतरंग मित्रों में चल जाता है पर सामान्यतः एक खुले मंच पर यह मजाक स्वीकार्य नहीं होना चाहिए. अगर इसपर मजाक करना ही है तो व्यक्ति स्वयं अपने बैकग्राउंड पर मजाक कर सकता है, पर दूसरों को उसमें हँसने से अधिक और कोई योगदान नहीं करना चाहिए. अगर कोई जोक्स बंगाली पर हैं तो उसे बंगाली को सुनाना चाहिए, और बिहारी वाले जोक्स बिहारी को सुनाने चाहिए.
सबसे अधिक आपत्तिजनक लगते हैं मुझे देवर भाभी के या जीजा साली के जोक्स. यह पता नहीं कैसे ये समाज में स्वीकृत हैं.. पर मुझे लगता है कि ये जोक्स आपसी सम्मान के अभाव को ही दिखाते हैं. किसी की पत्नी के बारे में किए हुए जोक्स, वह भी उस व्यक्ति के सामने मुझे असभ्यता की पराकाष्ठा लगते हैं. उससे भी अधिक हास्यास्पद यह है कि कोई एक व्यक्ति ऐसा एक मजाक करता है, पर उसके जवाब में उससे बहुत हल्के मजाक पर ऑफेंस ले लेता है. अपनी ओर से किया हुआ मजाक आपको मजाक लगता है, पर जवाब में आए मजाक में आप इंसल्ट देखने लगते हैं.
इस मामले में अंग्रेजों का सेंस ऑफ ह्यूमर मुझे अनुकरणीय लगता है. अंग्रेज अपने बेहद महीन सेंस ऑफ ह्यूमर के लिए जाने जाते हैं. यहां मरीज डॉक्टर से, बस का ड्राइवर सवारी से, दुकानदार ग्राहक से बिना मजाक किए इंटरेक्ट ही नहीं करता, लेकिन मैंने आजतक किसी को भी ऑफेंसिव जोक करते नहीं सुना, किसी को ऑफेंड होते नहीं देखा. आप कुछ 75-80 वर्ष के बुजुर्गों से बातें करेंगे तो लगेगा पी जी वुडहाउस को पढ़ रहे हैं..

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