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मनरेगा आजाद भारत की सबसे अच्छी योजना

Vivek Umrao

by Umrao Vivek Samajik Yayavar
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आर्थिक-सामाजिक-न्याय के लिए मनरेगा आजाद भारत की सबसे अच्छी योजना थी। लेकिन मिडिल-क्लास को इससे बहुत ही अधिक दिक्कत थी क्योंकि मिडिल-क्लास को शोषण करने के लिए लोग कम मिलने लगे थे। गरीब लोग भी कुछ ढंग का खाने पहनने लगे थे, बेगार व कम-मजदूरी पर काम करने में हीला-हवाली करने लगे थे।
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अब मिडिल-क्लास खुश रहने लगा है क्योंकि मनरेगा का बजट लगातार कम किया जा रहा है (जबकि लोगों की संख्या बढ़ रही है, रोजगार घट रहे हैं)। जिन लोगों की हैसियत मिडिल-क्लास की नजर में नमक-चावल देकर मुफ्तखोर कहकर अपमानित करने व एक तरह से गुलाम मानकर अपना अहंकार भोगने से अधिक नहीं है, मनरेगा जैसी बेहतरीन योजना द्वारा रोजगार पाकर व पैसा कमाकर ढंग का जीवन जी पाने की ओर बढ़ता देखकर, कैसे बर्दाश्त कर सकता था।
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जो लोग यह बताते नहीं अघाते कि मनरेगा में भ्रष्टाचार था तो ये लोग यह बता दें कि भ्रष्टाचार कहां नहीं है, सबसे बड़ा भ्रष्टाचार तो प्रशासन करता है, जिलाधिकारी करता है। जिलाधिकारी का पद ही ऐसा है कि मुख्य काम ही भ्रष्टाचार करना व करवाना है। इन जैसे सफेद-हाथी व घोर सामंती चरित्र वाले पदों व प्रशासनिक ढांचों को खतम करने की मांग क्यों नहीं की जाती है।
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मनरेगा से अधिक भ्रष्टाचार तो नमक, चावल इत्यादि बांटने में है। बात भ्रष्टाचार की नहीं है, भ्रष्टाचार तो बहाना है। असल बात यह है कि समाज का कमजोर तबका आर्थिक-सामाजिक-न्याय की ओर बढ़ पाने की थोड़ी ही सही लेकिन सहूलियत पा रहा था।
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देश का मतलब केवल हम या केवल हमारे जैसे लोगों का समूह नहीं होता है। हम यह कब समझेंगे कि देश का मतलब देश के लोग होते हैं, देश के लोग मतलब देश के सभी लोग। देश के निर्माण में में सभी लोगों व उनके पूर्वजों का हाथ रहा है। देश के गरीब से गरीब आदमी का, नल्ले से नल्ले आदमी का, योगदान रहता है। यह छोटी सी बात केवल उन्हीं को समझ आ सकती है जो वास्तव में देश के प्रति ईमानदार होते हैं, वास्तव में बिना ढोंग के देश को प्रेम करते हैं, देश की उन्नति चाहते हैं और इन सब मुद्दों की थोड़ी-बहुत गंभीर समझ रखते हैं।
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मुझे तो तकलीफ होती है, मनरेगा जैसी योजना को जानबूझकर खतम किए जाते देखकर।

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