Home विषयसामाजिक भागवत जी के वक्तव्य
भागवत जी के वक्तव्यों से कई बार मुझे भी असहमति रही है, खीज भी आई है लेकिन उनके प्रति विरोध वैसा ही रहा जैसे घर के बुजुर्ग के प्रति रहा।
उनके किसी वक्तव्य से असहमति है तो विरोध कीजिये लेकिन यह मत भूलिये कि वे हमारे सबसे बड़े ‘ढाल’ संगठन के सरदार भी हैं।
जिस तरह उन्हें अपशब्द बोले जा रहे हैं उससे मैं हैरत में हूँ कि जातिवादी गिरोह आसन्न खतरे को देखकर भी नहीं समझ रहे कि किस तरह पूरा हिंदू समाज ब्राह्मण वर्सेज शेष होता जा रहा है।
इससे कोई अंधा भी इंकार नहीं कर सकता कि ब्राह्मणों ने इस देश को जो बौद्धिक विरासत दी है और उसका यशस्वी बौद्धिक नेतृत्व किया है उसके कारण ही उन्हें राजपूतों की तलवारों की छाया और वैश्यों व दलितों की श्रद्धा मिली लेकिन दुर्भाग्यवश ब्रिटिशों तक आते-आते उनका बौद्धिक तेज जातीय स्वार्थ के अंधकूप में कैद हो गया जिसकी शुरुआत मध्य मुगलकाल में हो चुकी थी।
तुलसीदास, ज्ञानेश्वर, छत्रपति शिवाजी, बाजीराव, महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद कोई तो नहीं छोड़ा जिसे इस नई नवेली कट्टरता से पीड़ित न किया गया हो।
खैर, रात गई बात गई।
लेकिन मैं कुछ सालों से यह देखकर हतप्रभ हूँ कि इक्कीसवीं शताब्दी में भी कई लोग इस जन्मनाजातिगतश्रेष्ठता में विश्वास करते हैं, यहूदियों की तरह जो स्वयं को ‘Chosen People of God’ मानते थे और बाकी को शासन करने योग्य।
उनकी इन बातों से सिर्फ एक आदमी चिढ़ गया था और फिर जो हुआ वह इतिहास की दारुणतम गाथा है और यहाँ आप अपने ही हिंदू भाईयो को स्वयं के विरुद्ध खड़ा कर रहे हैं।
मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि ऐसे तत्वों को अपने बीच से निकाल फैंके जो जन्म के आधार पर स्वयं को किसी दूसरे से श्रेष्ठ मानते हैं।
अपने झूठे घमंड में डूबे कुछ लोगों के कारण ‘भीम-मीम’ का जो गठबंधन बनकर घृणा एकत्रित होती जा रही है और इसका कितना वीभत्स परिणाम होने जा रहा है उसका आपको अंदाजा तक नहीं है।
शास्त्रसम्मत कहकर इस घिनौने भाव को संरक्षण दे वाले शंकराचार्यगण व कई धर्म मठाधीशों से लेकर दो कौड़ी के सस्ते वीडिओ पत्रकार व लेखक तक इस आग में हर रोज ‘ईगो मसाज’ का ईंधन डाल रहे हैं जबकि भागवत, मोदी जैसे लोग इस प्रेशरकुकर का सेफ्टी वाल्व बनकर इसे टालने की कोशिश भर कर रहे हैं।
कितने आश्चर्य की बात है कि एक अवैज्ञानिक, अतार्किक और झूठे तथ्य के लिए विश्व के सबसे भयंकर आगामी गृहयुद्ध में ऐसे लोग रक्त की नदी में डूबने को तैयार हैं पर उस घमंड को छोड़कर समदर्शी हिंदुत्व को स्वीकारने को नहीं।
मैं चिंतित इसलिये नहीं कि ये आपका सवाल है बल्कि चिंतित इसलिये हूँ कि ये मेरी अगली नस्ल की जिंदगी का सवाल भी है क्योंकि अगला निशाना ‘राजपूत’ होंगे क्योंकि उनमें भी अन्य क्षत्रिय जातियों के विरुद्ध यही अकड़ है और तुम्हारे कारण घृणा से भरी ‘भीम’ की यह भीड़ ‘मीम’ के साथ जब मेरे ब्राह्मण पड़ोसी को निबटाकर मेरे घर की ओर आएगी तो यह नहीं देखने वाली कि मेरे विचार क्या थे।
मेरा गला काटने के लिए मेरे नाम के पीछे लिखा मेरा वंशनाम काफी होगा और मेरे जैसे ही अधिसंख्य निरीह ब्राह्मणों में भी होंगे जो कुछ चंद जन्मनाजातिगतश्रेष्ठतावादी धूर्तों की धूर्तताओं का मूल्य अपने सिरों से चुकाएंगे।
अभी भी समय है।
ये अहं भाव और विक्टिम कार्ड एक साथ खेलने की धूर्तता बंद करो। उधर दिलीप सी मंडल जैसे लोग हैं जो आपसे ज्यादा धूर्त हैं।

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