भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव शहर में 4 जून 2017 को 17 वर्षीय लड़की का कथित सामूहिक बलात्कार हुआ था। इसे ही उन्नाव बलात्कार मामला के रूप में संदर्भित किया जाता है।मामले में अब तक दो अलग-अलग आरोप पत्र दायर किए गए हैं। पहले आरोप-पत्र केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जुलाई 2018 को उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के नेता कुलदीप सिंह सेंगर के नाम पर दायर किया गया। दूसरा आरोप पत्र 13 जुलाई 2018 को कुलदीप सिंह सेंगर और उनके भाई, तीन पुलिसकर्मियों और पाँच अन्य लोगों पर बलात्कार पीड़ित लड़की के पिता को दोषी बताने के लिए दायर किया गया।
वर्ष 2017 की वो एक आम दोपहर थी. खाने के बाद ऊंघने का पहर, लेकिन उस दिन जो हुआ, उससे कई रातों तक किसी को ठीक से नींद नहीं आई.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव की एक नाबालिग लड़की ने दिल्ली में अपनी चाची को बताया कि उसके साथ बलात्कार हुआ है.
वो ख़ुद नाबालिग थी और उसका आरोप रसूख़ वाले विधायक कुलदीप सेंगर पर था.
लड़की की चचेरी बहन के मुताबिक़, “ये सब उन्नाव में हुआ, लेकिन वहां उसे जान से मारने की धमकी देकर चुप करा दिया गया था. यहां तक कि वो अपनी मां से भी कुछ नहीं कह पाई.”
15 साल से विधायक कुलदीप सेंगर उन्नाव में उस लड़की के पड़ोसी थे.
लखनऊ से जब मैं कुलदीप सेंगर के गांव पहुंची और सेंगर के घर का पता पूछा तो सबने एक बड़े कॉम्प्लेक्स की ओर इशारा कर दिया.
वहां एक हवेली, एक मंदिर और एक स्कूल था. गांववालों ने बताया कि ये सब ‘विधायक जी’ का है.
हवेली के दरवाज़ों पर ताले जड़े थे. पीछे की दीवार पर दो सीसीटीवी कैमरे लगे थे. दोनों का रुख़ पड़ोस में बने लड़की के घर की ओर था.
गांव में इस मामले को लेकर तरह-तरह की बात सुनने को मिली. षडयंत्र, प्रेम-प्रसंग, दुश्मनी, कई दावे थे जिनके ना सबूत थे और ना गवाह.
पहचान छिपाने की शर्त पर हर कोई एक नई कहानी सुनाने को तैयार था.
जिस एक बात पर कई लोग सहमत थे वो थी विधायक सेंगर की लोकप्रियता.
कुलदीप सेंगर तीन बार पार्टी बदल चुके हैं. 2002 में बहुजन समाज पार्टी से पहली बार विधायक बने, फिर समाजवादी पार्टी में गए और दो बार जीते, और 2017 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की.
उनके नाना कई साल गांव के सरपंच रह चुके थे. अब उनके छोटे भाई की पत्नी सरपंच हैं और उनकी पत्नी ज़िला पंचायत प्रमुख.
उधर लड़की के घर में पढ़ाई-लिखाई का ख़ास चलन नहीं था. मां भी अनपढ़ थीं. उन्होंने बताया, “घर में कभी इतने पैसे नहीं थे कि अपनी चार बेटियों और छोटे बेटे को पढ़ाएं.”
गांव में लड़की के पिता और उनके दो भाइयों की छवि दबंग की थी. गांव के कई लोगों ने मुझसे बातचीत में उन्हें गुंडा बताया जिनके लिए शराब पीना और मारपीट करना आम था.
स्थानीय थानाध्यक्ष राकेश सिंह के मुताबिक़ लड़की के पिता के ख़िलाफ़ 29 और चाचा के ख़िलाफ़ 14 मामले दर्ज हैं.
हिंसा और सियासत के इसी माहौल से दूर भागकर दिल्ली आई लड़की ने जब अपनी चाची को उस कथित वारदात के बारे में बताया तो नहीं जानती थी कि वो क्या कहेंगी.
चाची पढ़ी लिखी थीं. उनके पिता का दिल्ली में अच्छा व्यापार था. शादी के बाद लड़की के चाचा दिल्ली आ गए थे. यहीं कारोबार जमाया था.
लड़की की चचेरी बहन के मुताबिक़ चाची की हिम्मत नहीं होती, तो आगे कुछ नहीं होता.
लड़की ने पुलिस में शिकायत करने का फ़ैसला किया लेकिन महीनों तक एफ़आईआर दर्ज नहीं हुई.
आख़िरकार उसने अदालत का रुख़ किया.
भारत की अपराध दंड संहिता यानी सीआरपीसी के सेक्शन 156(3) में प्रावधान है कि पुलिस अगर किसी मामले में शिकायत ना लिखे तो पीड़ित अदालत के ज़रिए एफ़आईआर करवाए जाने की दरख़्वास्त कर सकते हैं.
लड़की की अर्ज़ी के बाद अदालत ने तहक़ीक़ात का आदेश दिया और पुलिस को एफ़आईआर करनी पड़ी.
लेकिन कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई. लड़की की मां के मुताबिक़ उन्हें लगातार धमकियां मिलती रहीं.
कुलदीप सेंगर के उस व़क्त मीडिया को दिए बयान के मुताबिक़, “ये राजनीति से प्रेरित झूठे आरोप थे”.
“यह सभी अपराध वास्तव में घटित हो चुके है और इनका विवरण विकिपीडिया और अन्य श्रोतो से लिया गया है इन अपराध को करने वाले अपराधियों को सजा दी जा चुकी है और कुछ मामलो में अभी फैसला आना बाकी है और मामला न्यायालय में है आप सब से निवेदन है की इनकी कहानियो को पढ़ कर इनकी प्रेरणा न ले”