Home राजनीति नसीरुद्दीनशाह_का_मुगल_प्रेम
नसीरुद्दीनशाह ने अपने हालिया प्रोजेक्ट जो प्रमोट करने के सिलसिले में वक्तव्य दिया है कि भारतीय इतिहास के कई पक्षों को उपेक्षित किया गया है यह सही है लेकिन मुगलों से घृणा गलत है।
चलिये कम से कम इतना तो माना कि भारतीय इतिहास के वास्तविक नायक ‘अनसंग हीरोज’ बनकर रह गए जिसके असली खलनायक नेहरू, मौलाना अबुल कलाम और पूरी मुंबईया फ़िल्म इंडस्ट्री है जिसने अस्सी के दशक से हिंदू पौराणिक चरित्रों व महानायकों को नेपथ्य में डालकर मुगलों का गुणगान शुरू किया जबकि वे सभी पंक्ति से अय्याश, व्यभिचारी व धर्मांध थे।
अब रहा सवाल की हिंदू मुगलों से नफरत का तो जनाब Naseeruddin Shah कोई भी देश अपने आक्रांताओं से नफरत ही करता है।
रूसी नेपोलियन से नफरत करते हैं तो आप मुहम्मद बिन कासिम और बाबर से प्रेम कैसे कर सकते हैं?
ब्रिटिश हिटलर से नफरत करते हैं तो आप अकबर व औरंगजेब की इज्जत कैसे कर सकते हैं?
अरब हुलागू खान से नफरत करते हैं तो आपको खिलजी से मुहब्बत क्यों है?
रही बात लाल किले, ताजमहल व कुतुब मीनार की तो अलबत्ता तो इनमें से एक भी इमारत बनवाने की इच्छा व तकनीक इन बर्बर आक्रांताओं के बस की बात है नहीं और यदि यह मान भी लिया जाए तो आपके हिसाब से अंग्रेज भी बड़े अच्छे थे क्योंकि उन्होंने सैकड़ों पुल, किले, इमारतें यहाँ तक कि संसद भवन व राष्ट्रपति भवन भी उन्होंने बनवाये।
अब आप कहेंगे कि मुगल इसी धरती पर जिये और मरे तो जनाब वह तो तुर्क और पठान भी यहीं रहे लेकिन प्रश्न यह है किस रूप में रहे?
क्या उन्होंने इस देश की राजकीय भाषा संस्कृत को अपनाया?
क्या उन्होंने इस देश की सर्वधर्मसमभाव की नीति को अपनाया?
क्या उन्होंने इस देश की वेशभूषा को अपनाया?
क्या उन्होंने इस देश की संस्कृति को अपनाया?
सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है- नहीं, क्योंकि सभी इस देश की हिंदू जनता के अन्न पर पलने के बावजूद उन पर, उनकी आस्थाओं को, उनके धर्म को, उनकी संस्कृति को मिटाने का प्रयत्न करते रहे।
ब्रिटिशों ने तो इन पूर्ववर्ती आक्रांताओं की इस नीति को सॉफिस्टिकेटेड तरीके से पुनः लागू भर किया था।
आपकी वृद्धावस्था व इस्लामिक कट्टरता के कारण आपसे किसी प्रतिउत्तर की आशा तो नहीं परंतु यदि संभव हो तो विचार कीजिये।

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